60 हजार सालों में दूसरी बार बन रहा यह संयोग, धरती के करीब लौटेगा यह ग्रह

लाल ग्रह मंगल लालिमा लेकर धरती के करीब लौट रहा है। यह दुर्लभ संयोग 60 हजार सालों में दूसरी बार बनने जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 06 Apr 2018 10:42 PM (IST) Updated:Mon, 09 Apr 2018 05:06 PM (IST)
60 हजार सालों में दूसरी बार बन रहा यह संयोग, धरती के करीब लौटेगा यह ग्रह
60 हजार सालों में दूसरी बार बन रहा यह संयोग, धरती के करीब लौटेगा यह ग्रह

नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: मानव सभ्यता का अगला पड़ाव माना रहा लाल ग्रह मंगल लालिमा लेकर धरती के करीब लौट रहा है। यह दुर्लभ संयोग 60 हजार सालों में 2003 के बाद दूसरी बार बनने जा रहा है। जुलाई अंतिम सप्ताह में यह धरती के बेहद करीब होकर अपने पथ पर आगे बढ़ेगा। यह नजदीकी वैज्ञानिक अध्ययन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान(एरीज) नैनीताल के वैज्ञानिक इस खगोलीय घटना के अध्ययन में जुटे हैं।   

 एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि अभी यह पृथ्वी से 15.76 करोड़ किमी की दूरी पर है। धरती के नजदीक पहुंचने के लिए अभी इसे दस करोड़ किमी का सफर तय करना बाकी है। 31 जुलाई को धरती और मंगल  एक दूसरे के सर्वाधिक नजदीक होंगे। उस समय इनके बीच दूरी मात्र 5.76 करोड़ किमी रह जाएगी। इससे पूर्व मंगल 2003 में धरती के सर्वाधिक करीब पहुंचा था। तब इनके बीच दूरी 5.58 करोड़ किमी रह गई थी। अब 14 वर्ष बाद इन दोनों का पुन: मिलन होने जा रहा है। इस वर्ष 27 जुलाई को समक्षता की स्थिति भी बनने जा रही है, जिसमें पश्चिम में सूर्यास्त हो रहा होगा और ठीक उसी समय पूर्व में मंगल उदय हो रहा होगा। इनके बीच में धरती होगी। इसे ही समक्षता की स्थिति कहा जाता है।

खास बात यह है कि धरती के करीब आने पर मंगल की सुर्खी बढ़ी नजर जाएगी। अभी यह बेहद धुंधला नजर आ रहा है। करीब आने पर इसकी चमक 20 गुना बढ़ जाएगी। यह लाल ग्रह सात जुलाई से चमकीले रंग में दिखाई देने लगेगा और सात सितंबर तक नजर आता रहेगा।

आज की रात होगा चार ग्रहों का संगम

सात व आठ अप्रैल की रात चार ग्रहों का अद्भुत मिलन होने जा रहा है। भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलूरू के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के अनुसार मंगल व शनि के साथ चंद्रमा नजर आएगा तो वहीं पास में प्लूटो भी मौजूद होगा। यह अद्भुत ब्रह्मांडीय नजारा होगा। प्लूटो को देखने के लिए दूरबीन की मदद लेनी होगी, जबकि अन्य तीनों को कोरी आंखों से देखा जा सकेगा।

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