निर्माण कार्यों पर दिख रहा मंदी का असर, स्‍टोन क्रशर मालिकों की हालत खस्‍ता NAINITAL NEWS

मंदी का असर उपखनिज खरीद-बिक्री कारोबार पर भी दिखने लगा है। इसकी वजह निर्माण कार्यों में सुस्ती तो है ही सरकारी प्रोजेक्ट में कमी और ठेकेदारों के भुगतान में विलंब भी वजह बनी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 13 Sep 2019 08:26 AM (IST) Updated:Sat, 14 Sep 2019 11:27 AM (IST)
निर्माण कार्यों पर दिख रहा मंदी का असर, स्‍टोन क्रशर मालिकों की हालत खस्‍ता NAINITAL NEWS
निर्माण कार्यों पर दिख रहा मंदी का असर, स्‍टोन क्रशर मालिकों की हालत खस्‍ता NAINITAL NEWS

रुद्रपुर, जेएनएन : मंदी का असर उपखनिज खरीद-बिक्री कारोबार पर भी दिखने लगा है। इसकी वजह निर्माण कार्यों में सुस्ती तो है ही सरकारी प्रोजेक्ट में कमी और ठेकेदारों के भुगतान में विलंब भी वजह बनी है। इससे करीब 25 फीसद असर पडऩे से स्टोन क्रशर संचालकों की हालत भी खस्ता है। इससे सरकार को भी मिलने वाले राजस्व में तो कमी आई ही है हजारों हाथों से काम भी छिन गया है। 

राज्य में 150 स्टोन क्रशर है। इनमें ज्यादातर ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जिले में है। निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाले रेत, बजरी, पत्थर, रोड़ी आदि उपखनिज का यहां की नदियों से ही चुगान होता है। कुछ माह से ऑटो सेक्टर के साथ रियल इस्टेट क्षेत्र में भी मंदी का व्यापक असर पड़ा है। मंदी की मार से उपखनिज बेचने वाले स्टोन क्रशन भी अछूते नहीं है। क्रशर संचालकों के मुताबिक राज्य में हर माह तीन हजार करोड़ का कारोबार होता है। सरकार को पांच फीसद जीएसटी व 30 रुपये प्रति कुंटल रायल्टी के रूप में टैक्स दिया जाता है। छह माह से माल की खपत कम होने से सरकार का राजस्व जबरदस्त घटा है। यही नहीं, स्टोर क्रशर संचालकों के पास भी माल डंप है। एक स्टोन क्रशर से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोग जुड़े हैं। ऐसे लोगों के सामने उनके सामने परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। 

छह माह से है मंदी का असर 

अभिषेक अग्रवाल, स्टोन क्रशर संचालक रुद्रपुर ने कहा कि छह माह से मंदी का असर है। सरकारी निर्माण इकाई के यहां ठेकेदारों का करोड़ों रुपये बकाया है। सरकारी कार्य भी कम हो गए है। इससे खपत कम होने से स्टोन क्रशर संचालकों को काफी नुकसान हो रहा है। पांच सौ से एक हजार कुंतल माल डंप पड़ा है।

रेता बजरी की कम हुई खपत 

राजेश सिंघल, स्टोन क्रशर संचालक, बाजपुर ने बताया कि रेता-बजरी की खपत कम हो गई है। इससे कारोबारियों का बुरा हाल है। सरकार के पास भी निर्माण कार्यों से जुड़े प्रोजेक्ट कम हैं।

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