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इसलिए भी ऑटो सेक्टर पर मंदी का असर, ग्राहकों काे है भारी छूट का इंतजार NAINITAL NEWS

मंदी का असर ऑटो सेक्टर पर भले सर्वाधिक हो लेकिन इससे सामान्य बाजार भी अछूता नहीं है। आगे और अधिक मंदी से सशंकित लोग फिलहाल खर्च करने से बच रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 08:39 AM (IST)
इसलिए भी ऑटो सेक्टर पर मंदी का असर, ग्राहकों काे है भारी छूट का इंतजार NAINITAL NEWS
इसलिए भी ऑटो सेक्टर पर मंदी का असर, ग्राहकों काे है भारी छूट का इंतजार NAINITAL NEWS

रुद्रपुर, जेएनएन : मंदी का असर ऑटो सेक्टर पर भले सर्वाधिक हो, लेकिन इससे सामान्य बाजार भी अछूता नहीं है। आगे और अधिक मंदी से सशंकित लोग फिलहाल खर्च करने से बच रहे हैं। अप्रैल 2020 से बीएस-6 वर्जन के वाहन आने के चलते भी लोग अब वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। वाहन खरीदारों को अभी यह उम्मीद भी है कि अप्रैल से पूर्व वाहन निर्माता कंपनिया पुराने वाहनों पर भारी छूट दे सकती हंै। ऐसे में फिलहाल मंदी पर डिस्काउंट ऑफर के लिए हो रहा इंतजार भी असर डाल रहा है। 

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मंदी की मार वर्तमान में वैश्विक है। देश में पर्यावरण को ध्यान में रखकर कुछ साल में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में आने व अप्रैल में बीएस-6 वर्जन के वाहन आने से बीएस-4 वर्जन के वाहनों की बिक्री कम हो गई है। लोग सशंकित हैं कि यदि बीएस-4 वर्जन का वाहन खरीदना समझदारी का सौदा नहीं होगा। कुछ लोग इसलिए भी अभी वाहन नहीं खरीद रहे हैं कि बीएस-6 वाहन आने से कंपनियां बीएस-4 वर्जन के वाहनों पर भारी छूट दे सकती हैं। कंपनियों को तैयार माल मार्केट में उतारना भी है। उम्मीद है कि दो-तीन माह में कंपनियां वाहनों पर छूट दे सकती हैं। इसलिए खरीदारों के ठिठकने से बाजार भी थमा हुआ है। 

बीएस-4 वर्जन के वाहनों पर मिली थी छूट 

अशोक बंसल, अध्यक्ष, केजीसीसीआइ ने बताया कि बीएस-6 वर्जन के वाहन आने से बीएस-4 वर्जन के वाहनों पर भारी छूट के इंतजार में लोग वाहन नहीं कर रहे हैं। बीएस-4 वर्जन के वाहनों पर काफी छूट मिली थी। ग्राहक सशंकित है कि कहीं मंदी की मार उन पर भी न पड़ जाए, इसलिए अनावश्यक खर्च नहीं कर रहे हैं। इससे भी मंदी पर करीब चार से पांच फीसद असर उद्योगों पर पड़ा है।

इसलिए जरूरी है बीएस 6 

हाल ही में सरकार ने बीएस 6 मानक लागू करने की घोषणा की थी। अप्रैैल  2020 से भारत में बीएस 6 एमिशन नॉर्म को लागू किया जाना है। दरअसल, बीएस-6 फ्यूल में सल्फर की मात्रा काफी कम होती है जिसकी वजह से प्रदूषण भी कम फैलता है। वहीं, बीएस-6 वाले वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का 89 फीसद और पीएम का 50 फीसद कम उत्सर्जन होगा। हालांकि बीएस-4 वाहनों का स्टॉक खत्म करने के लिए ग्रेस पीरियड दिये जाने की मांग की गई थी।

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