गंगा के प्रदूषित होने के मामले में जवाब तलब

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह की कोर्ट ने गंगा नदी के प्रदूषित होने के मामले में रजिस्ट्रार जनरल को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने को कहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 06 Apr 2018 08:33 PM (IST) Updated:Sat, 07 Apr 2018 05:02 PM (IST)
गंगा के प्रदूषित होने के मामले में जवाब तलब
गंगा के प्रदूषित होने के मामले में जवाब तलब

नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह की कोर्ट ने गंगा नदी के प्रदूषित होने का स्वत: संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने तथा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पेयजल, प्रमुख सचिव सिंचाई, अध्यक्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम व एसएसपी हरिद्वार व देहरादून, निदेशक नमामि गंगे परियोजना को नोटिस जारी कर दो मई तक जवाब मांगा गया है। कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद शासन के अफसरों में खलबली मच गई है।

कोर्ट के संज्ञान में आया कि ऋषिकेश व हरिद्वार शहर की गंदगी व सीवरेज गंगा नदी में जा रहा है। गंगा को स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे योजना बनाई गई है। इसके क्रियान्वयन के लिए कई अलग-अलग स्तर पर कमेटियों के गठन को लेकर पिछले साल 17 अप्रैल को गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया जा चुका है।

राज्य से संबंधित पक्षकारों के नोटिस मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी तथा नमामि गंगे परियोजना निदेशक का नोटिस भारत सरकार के असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल राकेश थपलियाल द्वारा लिया गया है। यहां बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट अलग-अलग याचिकाओं में गंगा को जीवित व्यक्ति का दर्जा दे चुकी है। इसके अलावा गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक इकाईयों को बंद करने का आदेश भी जारी हो चुका है।

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