हाईकोर्ट ने कहा सरकार चाहे तो हड़ताली लेखपालों व पटवारियों पर लगा सकती है एस्‍मा

हड़ताली लेखपालों व पटावारियों के मामले में सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि प्रमाण पत्रों का अधिकार लेखपालों से वापस लेकर वह तहसीलदार व नायाब तहसीलदार को दे दिया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 02 May 2019 05:05 PM (IST) Updated:Thu, 02 May 2019 05:05 PM (IST)
हाईकोर्ट ने कहा सरकार चाहे तो हड़ताली लेखपालों व पटवारियों पर लगा सकती है एस्‍मा
हाईकोर्ट ने कहा सरकार चाहे तो हड़ताली लेखपालों व पटवारियों पर लगा सकती है एस्‍मा

नैनीताल, जेएनएन। हड़ताली लेखपालों व पटावारियों के मामले में सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि प्रमाण पत्रों का अधिकार लेखपालों से वापस लेकर वह तहसीलदार व नायाब तहसीलदार को दे दिया गया है। इसके साथ ही उन्‍हें उचित समय पर लंबित प्रमाण पत्रों को निर्गत करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि सरकार निर्धारित समय के भीतर लंबित 10 हजार प्रमाण पत्रों को निर्गत करें ताकि सभी एडमिशन लेने वाले बच्चों को आय प्रमाण पत्र 10 मई से पहले मिल सकें। उधर हड़ताली कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही के मामले में खण्डपीठ ने कहा कि सरकार के पास शक्ति है चाहे तो वह इनपर एस्मा लगा सकती है। मामले की सुनवाई मुख्यन्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।

हल्द्वानी निवासी समाजसेवी नवीन कपील द्वारा उच्च न्यायालय नैनीताल में जनहित याचिका दायर कर राज्य में विगत तीन माह से जारी पटवारी और लेखपालों की हड़ताल पर सरकार की अकर्मण्यता के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की थी। इस हड़ताल के कारण आमजन को परेशानी हो रही है जिसमें कई प्रकार की सेवाएं बाधित हैं, जिनमें आय प्रमाणपत्र भी जारी नहीं हो पा रहे हैं जिस कारण आर्थिक रूप से निर्बल छात्रों के शिक्षा का अधिकार अधिनियम के 25% सीटों के कोटे में प्रवेश नहीं हो पा रहे हैं। न्यायालय ने सरकार की इस सुस्ती पर कड़ी फटकार लगाते हुए सचिव राजस्व, आयुक्त कुमाऊं और जिलाधिकारी नैनीताल से पूछा था कि वह कल तक यह बताए कि आय प्रमाणपत्र जारी करवाने के लिए वह क्या वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है और हड़ताली पटवारी और लेखपालों के ख़िलाफ़ क्या कार्यवाही होगी। पूरे प्रदेश में फरवरी से हड़ताल के कारण 10 हजार से ज्यादा आय प्रमाणपत्र और 16000 दाख़िल खारिज़ के प्रार्थनापत्र लम्बित हैं। जबकि राज्य सरकार के द्वारा लागू सेवा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आय प्रमाणपत्र, आवेदन के अधिकतम 15 दिन में जारी किया जाना अनिवार्य है।मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है।

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