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53 गुलदार और दो बाघ किए ढेर... अब दुनिया को बता रहे खौफनाक किस्से, सुनाई ऐसे आदमखोर की कहानी- जिसने सिर्फ शराब पीने वालों को बनाया शिकार

Haldwani News 53 गुलदार और दो बाघों को ढेर कर चुके लखपत संकट की स्थिति में हर बार वन विभाग और स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनकर उभरे। वहीं लखपत चाहते थे कि आदमखोरों से जुड़े ये किस्से लोगों तक पहुंचाए जाएं ताकि आम लोग गुलदार और बाघ के बदलते व्यवहार संग इन मुश्किल अभियानों के दौरान आने वाली दिक्कतों को भी समझ सकें।

By ganesh joshi Edited By: Nirmala Bohra Published: Fri, 24 May 2024 03:39 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2024 03:39 PM (IST)
Haldwani News: आदमखोरों को ढेर कर विभाग के साथ ही लोगों के लिए भी सुरक्षा कवच बने लखपत

गोविंद बिष्ट l जागरण हल्द्वानी : Haldwani News: प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट ने अपने जीवन में 33 आदमखोर गुलदार और बाघ ढेर किए थे। उनका यह रिकार्ड तोड़ा पहाड़ के शिक्षक लखपत सिंह रावत ने।

53 गुलदार और दो बाघों को ढेर कर चुके लखपत संकट की स्थिति में हर बार वन विभाग और स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनकर उभरे। दूसरी तरफ, अनुभव ने निशाने को ऐसा अचूक बनाया कि बंदूक से निकली गोली ने आदमखोर के अलावा कभी किसी अन्य को निशाना नहीं बनने दिया।

आदमखोरों से जुड़े ये किस्से लोगों तक पहुंचाए जाएं

वहीं, लखपत चाहते थे कि आदमखोरों से जुड़े ये किस्से लोगों तक पहुंचाए जाएं, ताकि आम लोग गुलदार और बाघ के बदलते व्यवहार संग इन मुश्किल अभियानों के दौरान आने वाली दिक्कतों को भी समझ सकें। इसलिए अब यूट्यूब पर लखपत रावत नाम से चैनल के जरिये वह इन सब घटनाओं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

मूल रूप से कुमाऊं-गढ़वाल के सीमा क्षेत्र गैरसैंण निवासी लखपत सिंह रावत ने मासूम स्कूली बच्चों की मौत के बाद बंदूक थामी थी। वह बताते हैं कि साल 2000 से 2002 के बीच गैरसैंण के आदीबद्री क्षेत्र में एक नरभक्षी गुलदार ने 12 बच्चों को निवाला बना लिया था। वह इसी क्षेत्र के स्कूल में शिक्षक थे। इन घटनाओं से डरे कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया था।

वन विभाग से अनुमति मिलने पर उन्होंने ही उस आदमखोर गुलदार को ढेर किया था। एसएसबी की ओर से सीमांत के लोगों को दी जाने वाली गुरिल्ला ट्रेनिंग का हिस्सा होने की वजह से बंदूक चलाने का अनुभव उन्हें पहले से था। इसके बाद पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों में गुलदार या बाघ के इंसानों पर हमले बढ़ने पर विभाग संग लोगों के बीच से भी लखपत रावत को बुलाने की मांग उठनी शुरू हो गई।

अंतिम बार अल्मोड़ा के भिकियासैंण में साल 2021 में उन्होंने एक गुलदार को ढेर किया। इसके बाद सितंबर 2023 में यूट्यूब पर खुद के नाम से चैनल भी बना लिया। 31 मार्च 2024 को शिक्षा विभाग में हेड मास्टर पद से सेवानिवृत्त हुए लखपत अब इन अभियानों के बारे में लोगों को विस्तार से बता रहे हैं।

गुलदार परिवार संग घूम रहे, बाघ का दायरा सिमटा

लखपत के अनुसार, वन्यजीवों का व्यवहार लगातार बदल रहा है। नैनीताल जिले के ओखलकांडा में उन्होंने खुद चार गुलदार एक साथ घूमते देखे। बाघों का दायरा सिमट रहा है। गुलदारों के आबादी में आने की टाइमिंग उनके नरभक्षी होने के संकेत देती है। लोगों को इस व्यवहार को समझना होगा। तभी मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने की रणनीति कामयाब हो सकती है।

डीडीहाट का गुलदार, जिसने सिर्फ शराब पीने वालों को मारा

2011 में चंपावत जिले के डीडीहाट में एक व्यक्ति गुलदार के हमले में मारा गया था। अगले तीन साल में 16 लोग यहां शिकार हुए। खास बात यह थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हर व्यक्ति के शरीर में अल्कोहल की मात्रा मिली थी। इससे पता चला कि इस गुलदार को इंसान के शरीर में मौजूद शराब का स्वाद पसंद आ गया था और यह इसका आदी हो चुका था। 2014 में लखपत ने इस गुलदार को ढेर किया था।

नकर्मियों को बताना चाहता था, मगर पत्र का जवाब नहीं मिला

लखपत ने बताया कि वन्यजीवों के बदलते व्यवहार और हमले की वजहों और बचाव की जानकारी न होने पर अक्सर जंगल में असमंजस की स्थिति बन जाती है। इसलिए वह चाहते थे कि एक शिकारी के तौर पर अपने अनुभवों को वनकर्मियों के साथ साझा करें, मगर पत्र लिखने के बावजूद वन विभाग ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया।


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