मानक से अधिक वजन के बस्ते ढो रहे हैं बच्चे, मंत्रालय के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे स्कूल
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने पहली से दसवीं तक के बच्चों के स्कूल बैग का अधिकतम बोझ तय किया है।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने पहली से दसवीं तक के बच्चों के स्कूल बैग का अधिकतम बोझ तय किया है। पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों का बस्ता डेढ़ किलो से ज्यादा भारी नहीं हो सकता। दसवीं के छात्रों के लिए इसकी अधिकतम सीमा पांच किलो तय है। उत्तराखंड शासन में सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने 24 अप्रैल को विभागीय अधिकारियों को आदेश जारी कर एमएचआरडी के निर्देशों का शतप्रतिशत पालन सुनिश्चित कराने को कहा है। एक सप्ताह बीत चुका है, मगर आदेश पर असर होता नहीं दिख रहा है। पेश है दैनिक जागरण की पड़ताल आधारित विशेष सीरीज की पहली किस्त।
तीन गुना अधिक बोझ
हल्द्वानी के अधिकांश स्कूलों के बच्चे तय मानक से दो से तीन गुना अधिक बोझ ढो रहे हैं। यूकेजी का बच्चा जिसका खुद का वजन 18 किलो है, वह 5 किलो का बैग ढोकर स्कूल जा रहा है। मंत्रालय के निर्देश के अनुसार कक्षा दस के छात्र के बस्ते का वजन 5 किलो होना चाहिए।
सीढ़ी चढऩे में हांफ जाते हैं बच्चे
स्कूल जाने वाले बच्चे बस्ते के बोझ से परेशान हैं। क्लास आठ के बच्चे मानक से दोगुना वजनी बस्ता उठा रहे हैं। जबकि उसे साढ़े चार किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। क्लास तीन के बच्चों के बैग का वजन किसी स्कूल में छह किलो से कम नहीं है। नर्सरी के बच्चे का बस्ता औसतन साढ़े तीन किलो का है। बैग इतना भारी रहता है कि छुट्टी के वक्त स्कूल से बाहर निकलते ही पेरेंट्स सबसे पहले बच्चे का बस्ता अपने हाथ लेते हैं। छोटे बच्चे भारी बस्ता लेकर सीढ़ी चढऩे में हांफ जाते हैं।
बस्ते के वजन के लिए मानक
कक्षा 1 से 2 : डेढ़ किलो तक
कक्षा 3 से 5 : 2 से 3 किलो तक
कक्षा 6 से 7 : 4 किलो तक
कक्षा 8 से 9 : 4.5 किलो तक
कक्षा 10 : 5 किलो तक
मंत्रालय ने पिछले साल मांगे थे सुझाव
स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने व कक्षा 1 से 12वीं तक पाठ्यक्रम में सुधार के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय व एनसीईआरटी ने पिछले साल अप्रैल में देशभर से ऑनलाइन सुझाव मांगे थे। सर्वाधिक सुझाव बस्ते के वजन को लेकर थे।
सीमित किया जा रहा है बस्ते का बोझ
अनुराग माथुर, प्रधानाचार्य इंस्प्रेशन स्कूल ने बताया कि मंत्रालय का आदेश अच्छा है। दिन के अनुसार अलग-अलग विषय निर्धारित कर बस्ते का बोझ सीमित किया जा सकता है। बच्चों को अनावश्यक बुक, कॉपी स्कूल लाने की जरूरत नहीं होगी। स्कूल व क्लास टीचर इसे व्यवस्थित करा सकते हैं।
घर में भी बच्चों के लिए निकाले समय
मंजू जोशी, प्रधानाचार्य यूनिवर्सल स्कूल ने बताया कि बच्चों के लिए पुनरावृत्ति जरूरी है। बच्चों को पढ़ाई के लिए कुछ समय घर में भी निकालना चाहिए। स्कूलों को कोर्स व बस्ते का बोझ दोनों को व्यवस्थित करते हुए चलना होगा। इससे बस्ते का बोझ कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी।
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