रिटायरमेंट के बाद युवाओं में फौज का जज्बा भर रहा सैनिक

62 साल के गजेंद्र रावत ने इसके उलट गांव के युवाओं को सेना के काबिल बनाने का बीड़ा उठाया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 02 Sep 2019 05:28 PM (IST) Updated:Tue, 03 Sep 2019 03:07 PM (IST)
रिटायरमेंट के बाद युवाओं में फौज का जज्बा भर रहा सैनिक
रिटायरमेंट के बाद युवाओं में फौज का जज्बा भर रहा सैनिक

भानु जोशी, हल्द्वानी। रिटायरमेंट के बाद जहां आमतौर पर लोग सुकून व आरामदायक जिंदगी बिताना पसंद करते हैं, वहीं 62 साल के गजेंद्र रावत ने इसके उलट गांव के युवाओं को सेना के काबिल बनाने का बीड़ा उठाया है। परिणाम सुखद रहे। गजेंद्र से प्रशिक्षण पाकर 27 युवा अपने पहले ही प्रयास में सेना में भर्ती हो गए। पारिवारिक कारणों के चलते कुछ दिनों गांव से दूर रहने के बाद वह एक बार फिर युवाओं को सही राह दिखाने गांव की ओर चल पड़े हैं।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के हवालबाग विकासखंड के पथरकोट गांव निवासी गजेंद्र रावत ने भारतीय सेना में रहकर 24 साल देश सेवा की। इसके बाद वह केआरसी रानीखेत में पीटीआइ रहे। रिटायरमेंट के बाद वर्ष 2016 से उन्होंने निर्धन परिवार के युवाओं को सेना भर्ती का निश्शुल्क प्रशिक्षण देने का जिम्मा उठाया। इस दौरान गांव के आसपास के कई अन्य युवा भी उनके पास प्रशिक्षण लेने आने लगे। अब प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की संख्या बढ़कर 34 हो गई। गजेंद्र इन युवाओं को सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक भर्ती का प्रशिक्षण देते। नतीजा यह रहा कि वर्ष 2016 में दिसंबर में बनबसा में सेना भर्ती में इन 34 युवाओं ने किस्मत आजमाई। 12 युवाओं ने पहली ही कोशिश में सारी बाधाएं पार कर ली और सेना में भर्ती हो गए। इसके बाद भी गजेंद्र का सेना के लिए युवाओं को तराशने का अभियान जारी रहा। अब तक वे 50 से अधिक युवाओं को निश्शुल्क भर्ती प्रशिक्षण दे चुके हैं। जिनमें से 21 ने आर्मी जीडी व छह ने क्लर्क पद की परीक्षा पास की।

बीएससी, बीटेक युवाओं ने भी लिया प्रशिक्षण

गजेंद्र बताते हैं कि उनसे प्रशिक्षण पाने के लिए गरीब परिवार के युवाओं के अलावा बीएससी, बीटेक उत्तीर्ण छात्र भी आने लगे। जिन्हें उन्होंने स्वयं के खर्चे से प्रशिक्षण का सामान उपलब्ध कराया। गजेंद्र युवाओं के साथ-साथ खुद को भी फिट रखते हैं। वह रोज सुबह साढ़े चार बजे से छह बजे तक योग करते हैं।

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