Uttarakhand Lockdown: दूसरे प्रदेशों के 169 कैदियों को घर छोड़ना बड़ी चुनौती, पढ़िए पूरी खबर

पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दूसरे प्रदेशों के कैदियों को छोड़ने की है। राज्य की जेलों से कुल 716 कैदियों को छोड़ा जाना है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 01 Apr 2020 04:25 PM (IST) Updated:Wed, 01 Apr 2020 04:25 PM (IST)
Uttarakhand Lockdown: दूसरे प्रदेशों के 169 कैदियों को घर छोड़ना बड़ी चुनौती, पढ़िए पूरी खबर
Uttarakhand Lockdown: दूसरे प्रदेशों के 169 कैदियों को घर छोड़ना बड़ी चुनौती, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, विकास गुसाईं। जेल प्रशासन ने कोरोना के बढते संक्रमण को देखते हुए कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाने के लिए कैदियों की रिहाई शुरू कर दी है। हालांकि, अब पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दूसरे प्रदेशों के कैदियों को छोड़ने की है। राज्य की जेलों से कुल 716 कैदियों को छोड़ा जाना है।

पहले चरण में 610 कैदियों को छोड़ा जा रहा है। इनमें 441 कैदी उत्तराखंड और 169 दूसरे प्रदेशों के हैं। अब पुलिस के सामने चुनौती इन्हीं 169 कैदियों को इनके घरों तक छोड़ने की है। जेलों में कोरोना के फैलने की आशंका के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले स्वत: संज्ञान लिया था और प्रदेश सरकारों से जेलों में बंद सात साल से कम सजा वाले और विचाराधीन कैदियों को बेल अथवा पैरोल पर छोड़ने का निर्देश दिया। इस क्रम में उतराखंड में भी एक समिति का गठन कर कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया गया। 

दरअसल, उत्तराखंड की 11 जेलों में 3420 कैदी रखने की क्षमता है मगर यहां 5800 कैदी बंद हैं। इनसे से परीक्षण के बाद 716 कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया है। पहले चरण में 610 कैदियों की रिहाई की जा रही है। इनमें दूसरे प्रदेशों के कैदी भी शामिल हैं और यही कैदी पुलिस के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। दरअसल, इन कैदियों को पुलिस ने इनके घरों तक छोड़ना है।

प्रदेश में लॉकडाउन हैं और सीमाएं सील हैं। चूंकि इनकी संख्या खासी अधिक है तो इनके साथ उतना ही पुलिस बल भी चाहिए होगा। उत्तर प्रदेश काफी बड़ा है इस कारण पुलिस को इन्हें छोड़ने के लिए वाहनों के साथ ही सुरक्षा की भी व्यवस्था करनी है। डीजी कानून व्यवस्था अशोक कुमार का कहना है कि इन कैदियों को छोड़ने की व्यवस्था की जा रही है।। 

लॉकडाउन के बीच पैरोल ने बढ़ाई पुलिस की चुनौती

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते कैदियों के छह माह के पैरोल पर रिहा होने से पुलिस की चुनौती बढ़ गई है। लॉकडाउन का पालन कराने के साथ-साथ पुलिस को इन कैदियों की निगरानी भी करनी होगी। जिला कारागार के 43 कैदियों सहित अभी तक हरिद्वार जिले के 60 से अधिक कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जा चुका है।

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने जेल में कैदियों को छह माह के पैरोल पर छोड़ने के आदेश दिए हैं। जिला कारागार से कुल 87 कैदियों की रिहाई को कोर्ट से मंजूरी मिली है। इनमें हरिद्वार जिले के निवासी कुल 43 कैदियों को सोमवार शाम पैरोल पर रिहा कर दिया गया है। जबकि रुड़की उपकारागार से भी हरिद्वार जिले के 20 से ज्यादा कैदी रिहा हुए हैं।

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सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार पुलिस को इन कैदियों की निगरानी करनी है। एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस की ओर से भी इस बारे में सभी थाना कोतवाली प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं। लॉकडाउन के बीच पुलिस के कंधों पर नई जिम्मेदारी आ गई है। पुलिस को हफ्ते में कम से कम एक बार इन कैदियों से संपर्क करना है। कहीं ऐसा न हो कि पैरोल की अवधी पूरी होने से पहले कैदी कहीं फरार हो जाए।

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