उत्तराखंड: वीसी पद पर शिक्षाविदों को जूझना होगा कड़ी प्रतिस्पर्धा से, IAS देंगे टक्कर

सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपति पद को लेकर शिक्षाविदों को अब कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना होगा। अब इन पदों के लिए अपर मुख्य सचिव रैंक के वरिष्ठ आइएएस उद्योग क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक भी पात्र होंगे।

By Edited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 08:02 PM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 03:18 PM (IST)
उत्तराखंड: वीसी पद पर शिक्षाविदों को जूझना होगा कड़ी प्रतिस्पर्धा से, IAS देंगे टक्कर
वीसी पद पर शिक्षाविदों को जूझना होगा कड़ी प्रतिस्पर्धा से(फाइल फोटो)

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपति पद को लेकर शिक्षाविदों को अब कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना होगा। अब इन पदों के लिए अपर मुख्य सचिव रैंक के वरिष्ठ आइएएस, उद्योग क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक भी पात्र होंगे। उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक में सरकार ने यह प्रविधान किया है। सरकार बुधवार को इस विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश करेगी। विधेयक पारित होने के बाद राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला एक्ट बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। सरकार की कवायद परवान चढ़ी तो उत्तराखंड राज्य बनने के करीब 20 साल बाद राज्य विश्वविद्यालयों का एक अंब्रेला एक्ट होगा। 

विधानसभा में बुधवार को पेश होने जा रहे इस विधेयक में पहली बार कुलपति और कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर मौजूदा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। कुलपति पद अब शिक्षाविदों के लिए सीमित नहीं रहेगा। इस पद के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रशासक भी दावेदार होंगे। इसके साथ शर्त ये है कि इन पदों की समकक्षता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद के समान होनी चाहिए। प्रशासन, उद्योग या अनुसंधान संस्थान में प्रोफेसर पद के समकक्ष यानी राज्य सरकार में अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव, केंद्र सरकार में सचिव या सचिव से उच्च स्तर, ग्रेड-जी या उच्च पद के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर न्यूनतम दस वर्ष की सेवा का अनुभव होना चाहिए। 

प्रस्तावित विधेयक में कुलपति पद के लिए ये पात्रता 

राज्य विश्वविद्यालयों की अलग-अलग प्रकृति को देखते हुए की गई है। इनमें तकनीकी विश्वविद्यालय, कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, आयुर्वेद विश्वविद्यालय शामिल हैं। विशेषज्ञ शिक्षा से जुड़े विश्वविद्यालय में विशेषज्ञ प्रशासकों, उद्योग क्षेत्र के अधिकारियों और वरिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्ति हो सकेगी। 

पैनल का दोबारा परीक्षण कर सकेगी सरकार 

कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित की जाने वाली सर्च कमेटी अब तीन के बजाय पांच सदस्य होंगे। कमेटी में शामिल किए गए दो अतिरिक्त सदस्यों को सरकार नामित कर सकेगी। सर्च कमेटी कुलपति पद के दावेदारों का पैनल बनाएगी, उसका अंतिम परीक्षण सरकार करेगी। इसके बाद ही इसे राजभवन भेजा जाएगा। सरकार सर्च कमेटी को एक बार पैनल दोबारा परीक्षण के लिए लौटा सकेगी। इसमें कुलपति की आयु सीमा 70 वर्ष तक बढ़ाई गई है। 

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कुलसचिव पद के लिए समान योग्यता 

राज्य विश्वविद्यालयों में अब कुलसचिव को लेकर विवाद नहीं होगा। इस पद के लिए सभी विश्वविद्यालयों में समान योग्यता लागू होगी। ऐसा होने पर तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद के लिए बीटेक डिग्री की पात्रता की शर्त भी समाप्त हो जाएगी। कुलसचिव की नियुक्ति 50 फीसद सीधी भर्ती और 50 फीसद पदोन्नति से होगी। विश्वविद्यालय से कॉलेजों को दी जाने वाली संबद्धता के नियमों को भी कड़ा किया गया है। विधेयक में कॉलेजों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों की अलग-अलग विश्वविद्यालय से संबद्धता लेने की प्रक्रिया को सख्त करते हुए प्रविधान किए गए हैं।

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