सामने से एक जैसे नजर आएंगे दून के भवन, हो रहे ये प्रयास; जानिए

यदि सरकार की योजना परवान चढ़ी तो राजधानी दून समेत प्रदेश के तमाम स्थानों में भवनों का सामने का रूप फसाड योजना के माध्यम से एक जैसा नजर आएगा।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 03 Jan 2019 09:09 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jan 2019 08:40 PM (IST)
सामने से एक जैसे नजर आएंगे दून के भवन, हो रहे ये प्रयास; जानिए
सामने से एक जैसे नजर आएंगे दून के भवन, हो रहे ये प्रयास; जानिए

देहरादून, सुमन सेमवाल। जयपुर की पिंक सिटी हो, दिल्ली का कनॉट प्लेस हो या फिर चाहे हजरतगंज व अमृतसर के भवन हों, सभी में एक रूपता नजर आती है और इन्हें देखकर अलग सा भाव उभरता है। यदि सरकार की योजना परवान चढ़ी तो राजधानी दून समेत प्रदेश के तमाम स्थानों में भवनों का सामने का रूप 'फसाड' योजना के माध्यम से एक जैसा नजर आएगा। यह रूप यहां की पारंपरिक शैली के अनुरूप ही होगा। 

इसको लेकर सरकार ने हाल ही में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। खास बात यह कि समिति की पहली बैठक का आयोजन किया गया और प्रदेश में भवनों में एकरूपता लाने पर विचार-विमर्श किया गया।

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि दून में यूरोपीय शैली के भवनों की बाहुल्यता रही है। इसी तरह हरिद्वार-ऋषिकेश की पहचान उसकी धार्मिक शैली रही है। वहीं, गढ़वाल व कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में पहाड़ी शैली के भवन ही अस्तित्व में रहे हैं। 

फसाड (मुखौटा) की पहली बैठक में समिति के सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव दिए हैं। कुछ और बैठकों में सुझावों को अमलीजामा पहनाया जाएगा और फिर भवनों की पारंपरिक शैली को बढ़ावा देने के लिए नीति तैयार की जाएगी। 

बैठक में आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला, मुख्य नगर नियोजक एसके पंत, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता एनएस रावत, अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. आरके पटेल, उत्तराखंड आर्किटेक्ट एवं इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा आदि उपस्थित रहे। 

सिर्फ भवनों का सामने रूप ही बदलना होगा

डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि फसाड के तहत सिर्फ भवनों के सामने के रूप में एकरूपता लाई जाएगी। यानी कि भवनों की भीतर की बनावट व पिछले हिस्से में किसी तरह की तब्दीली की जरूरत नहीं पड़ेगी।

फसाड अपनाने पर एक मंजिल का लाभ भी मिलेगा

फसाड के तहत लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य कैबिनेट के हालिया निर्णय का लाभ दिया जाएगा। इसके तहत प्रदेश की विरासत को अपनाने के लिए निर्माणकर्ताओं को कुल स्वीकृत मंजिल में एक मंजिल अतिरिक्त निर्माण की छूट दी जाएगी। यह व्यवस्था नए निर्माण के साथ ही पुराने निर्माण में बदलाव पर भी लागू होगी।

तय किए जाने हैं डिजाइन

एमडीडीए उपाध्यक्ष के अनुसार समिति के सदस्यों को पहली बैठक में निर्देश दिए गए हैं कि वह क्षेत्रवार भवनों के डिजाइन पर सुझाव दें। अगली बैठक में सभी सदस्य सुझाव लेकर आएंगी और फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

एएसआइ से लिया जाएगा सहयोग

फसाड योजना को परवान चढ़ाने के लिए विशेष रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधीक्षण पुरातत्वविद् को समिति का हिस्सा बनाया गया है। प्रदेश में एएसआइ संरक्षित तमाम ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिनकी खास शैली की जानकारी एएसआइ के पास ही है।

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