अटल आयुष्मान योजना के और सरलीकरण की है जरूरत Dehradun News

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को आम जन तक ले जाने के लिए और अधिक सरलीकरण की आवश्यकता है। ये कहना है राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष ज्ञान सिंह नेगी का।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 15 Feb 2020 03:15 PM (IST) Updated:Sat, 15 Feb 2020 03:15 PM (IST)
अटल आयुष्मान योजना के और सरलीकरण की है जरूरत Dehradun News
अटल आयुष्मान योजना के और सरलीकरण की है जरूरत Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष ज्ञान सिंह नेगी ने कहा कि अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को आम जन तक ले जाने के लिए और अधिक सरलीकरण की आवश्यकता है। योजना में किसी भी स्तर की लापरवाही या अस्पताल स्तर पर धोखाधड़ी के कृत्यों पर कड़ी निगरानी के निर्देश उन्होंने दिए। 

शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा करते नेगी ने कहा कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ग्राम स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य इकाई हो सकती है, क्योंकि विभिन्न प्रकार की जांच और स्क्रीनिंग की सुविधा न होने के कारण आमतौर पर ग्रामीण झोलाछाप या अप्रशिक्षित व्यक्तियों के पास चले जाते हैं। इस कमी को दूर करने में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एक सशक्त माध्यम बन सकता है।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली आबादी तक स्वास्थ्य सेवाओं को ले जाने की रणनीति पर अधिक प्रभावी तौर पर कार्य करें। उन्होंने गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया, जिससे आम जनमानस का भरोसा सरकारी चिकित्सा सेवाओं पर कम न हो पाए। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण के अपने अनुभव साझा करते कहा कि प्राय: लोगो का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में नकारात्मक रुख रहता है। जिसे हमें अपनी कार्यशैली के द्वारा ठीक करना होगा और आम जनमानस में स्वास्थ्य सेवाओं की सकारात्मक छवि प्रस्तुत करनी होगी। 

इस दौरान एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत और स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने उन्हें राज्य में संचालित विभिन्न योजनाओं और एनएचएम के तहत संचालित कार्यक्रमों की प्रगति की जानकारी दी। आइपीएचएस मानक लागू किए जाने की कार्ययोजना से भी अवगत कराया। मिशन निदेशक ने बताया कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 85 मशीन संचालित हो रही हैं। जिनके माध्यम से एक वर्ष में 1011 रोगियों को डायलिसिस की सुविधा दी गई है। 

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वहीं, शहरी स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत मात्र सात माह में 2.15 लाख मरीज देखे गए हैं, जिसमें 11865 गर्भवती महिलाओं को दी गई सेवा भी शामिल है। स्वास्थ्य महानिदेशक  ने उपलब्ध चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ  की जानकारी उन्हें दी। बताया कि वर्तमान में 1872 चिकित्सक तैनात हैं और डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की कमी के बावजूद भी स्वास्थ्य सूचकांकों में अपेक्षित सुधार हुआ है। विशेषतौर पर मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर में कमी का उल्लेख उन्होंने किया। 

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बैठक में निदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा, डॉ. एसके गुप्ता, वित्त निदेशक शैलेंद्र शंकर सिंह, एनएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल, डॉ. अनूप डिमरी, डॉ. सुमन आर्या, डॉ. जीएस जोशी, डॉ. प्रेमलाल आदि उपस्थित रहे। 

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