जूनियर हाईस्कूल स्कूलों के विलय की तैयारी का विरोध, शिक्षकों ने उठाई आवाज

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के निवर्तमान प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र प्रेषित कर बिना सेवा शर्त एवं नियमावली के विद्यालयों के विलय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कभी भी शिक्षा के संगठनात्मक संरचना पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 03:00 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 03:00 PM (IST)
जूनियर हाईस्कूल स्कूलों के विलय की तैयारी का विरोध, शिक्षकों ने उठाई आवाज
जूनियर हाईस्कूल स्कूलों के विलय की तैयारी के विरोध में शिक्षकों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में एक ही परिसर में संचालित करीब 1500 जूनियर हाईस्कूल स्कूलों के विलय की तैयारी के विरोध में शिक्षकों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक खुलकर इसके विरोध में उतरे हैं। शिक्षकों का कहना है कि बिना सेवा नियमावली के एक तरफा विद्यालयों का विलय उन्हें मंजूर नहीं है। इससे शिक्षकों की पदोन्नति के मौके कम होंगे एवं अन्य हित भी प्रभावित होंगे।

शनिवार को जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के निवर्तमान प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र प्रेषित कर बिना सेवा शर्त एवं नियमावली के विद्यालयों के विलय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कभी भी शिक्षा के संगठनात्मक संरचना पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया। पूर्व में भी करीब 1500 स्कूलों का विलय किया गया था। इससे जूनियर हाईस्कूलों में तैनात शिक्षकों के हित प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा कई शिक्षकों को विद्यालयों से हटा तक दिया गया है। अब दोबारा बिना किसी ठोस रणनीति एवं शिक्षकों की सेवा शर्त और नियमावली के 1500 विद्यालयों को फिर से विलय करने की तैयारी है।

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बहुगुणा ने कहा कि स्कूलों के विलय से पहले शिक्षा निदेशालय का विलय होना जरूरी है। प्रदेश में छह से दसवीं तक के कुछ विद्यालय प्राथमिक एवं कुछ माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से संचालित हो रहे हैं। जिसके चलते विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा नियमावली एवं शैक्षिक प्रशासन व्यवस्था भी अलग है। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर शिक्षकों के हितों को दरकिनार कर एवं शिक्षकों को विश्वास में लिए बिना सरकार ने कोई भी कदम उठाया तो शिक्षकों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा

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