बाहर से दवा लिखी तो चिकित्सकों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई Dehradun News

सरकारी अस्पतालों में बाहर से महंगी दवाएं लिखने की लगातार शिकायतों व जिलाधिकारी सी रविशंकर के निर्देश के बाद अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे चिकित्सकों पर सख्ती दिखाई है।

By BhanuEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 12:28 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 12:28 PM (IST)
बाहर से दवा लिखी तो चिकित्सकों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई Dehradun News
बाहर से दवा लिखी तो चिकित्सकों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। मरीजों से बाहर से महंगी दवाएं मंगाने वाले चिकित्सकों की अब खैर नहीं। सरकारी अस्पतालों में बाहर से महंगी दवाएं लिखने की लगातार शिकायतों व जिलाधिकारी सी रविशंकर के निर्देश के बाद अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे चिकित्सकों पर सख्ती दिखाई है। चिकित्सकों को अस्पताल के मेडिकल स्टोर में उपलब्ध दवाएं लिखने और दवा उपलब्ध नहीं होने पर मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखने का नोटिस जारी किया गया है। ऐसा नहीं होने पर चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के निर्देश पर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने सभी विभागाध्यक्षों को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में वर्तमान में 90 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध हैं। राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत आने वाली सभी दवाएं भी अस्पताल के स्टोर में मौजूद हैं। 

बावजूद इसके कुछ चिकित्सक मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीज बाहर से महंगी दवा खरीदने में असमर्थ होते हैं। कहा कि हर ओपीडी में चिकित्सक की सुविधा के लिए दवाओं की सूची लगाई जाती है, जिससे उन्हें अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध दवाओं की जानकारी होगी। 

दून अस्पताल की ही तरह कोरोनेशन अस्पताल व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने भी चिकित्सकों को निर्देश दिए हैं कि मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध या जेनेरिक दवाएं ही लिखें। किसी भी हाल में बाहर की दवाएं मरीजों को न लिखी जाएं।

दून अस्पताल पर बूढ़ी मशीनों की मार, मरीज बेहाल

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बूढ़ी मशीनें बार-बार दगा दे रही हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले को लेकर समाजसेवी मोहन खत्री ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। 

उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी विभाग में कई मशीनें/उपकरण ऐसे हैं जो बार-बार खराब हो रहे हैं। क्योंकि यह मशीनें पुरानी हो चुकी हैं। सीटी स्कैन मशीन पिछले लंबे समय से खराब पड़ी हुई है। वहीं एक्स-रे मशीन, एमआरआइ मशीन आदि भी समय-समय पर दगा दे जाती हैं। जो मशीनें खराब हो रही हैं उचित समय पर उनकी मरम्मत नहीं की जा रही है। 

मशीनों की मरम्मत के नाम पर अस्पताल प्रबंधन हर मर्तबा बजट का रोना रोता रहता है। कहा कि अस्पताल में देहरादून के अलावा दूर-दराज के क्षेत्रों से भी रोजाना कई मरीज पहुंचते हैं। लेकिन अस्पताल में जांच की सुविधाएं नहीं मिलने पर उन्हें निराश होना पड़ता है। मरीजों को मजबूरी में निजी लैब में जाकर महंगे दाम पर जांचें करवानी पड़ती है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों पर इसकी बड़ी मार पड़ रही है। 

पिछले कई माह से अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं होने का मामला भी उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक के समक्ष उठाया। कहा कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

डोईवाला पीएचसी में बार-बार खराब हो रहे उपकरण

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) डोईवाला में न सिर्फ चिकित्सा उपकरणों की कमी है, बल्कि यहां कई उपकरण पुराने हो चुके हैं। जिनमें बार-बार खराबी आने से मरीजों का समुचित परीक्षण नहीं हो पाता है। यह बात जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई पीएचसी की सेंट्रल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में सामने आई। इस चिकित्सालय का संचालन स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (एसआरएचयू) व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त अनुबंध के तहत किया जाता है।

बैठक में एसआरएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ब्रिगेडियर डॉ. वाईएस बिष्ट (रिटा.) ने कहा कि अस्पताल को बेहतर स्थिति में लाने के लिए आधुनिक उपकरणों की खरीद जरूरी है। अस्पताल में एक अल्ट्रासाउंड मशीन, डेंटल चेयर, एक जनरेटर की शीघ्र खरीद की जाए और एक्सरे मशीन को दुरुस्त कराया जाना चाहिए।

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जिलाधिकारी सी रविशंकर ने इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी को निर्देश दिए उपकरणों को लेकर आवश्यक कार्रवाई पूरी कर ली जाए। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डोईवाला डॉ. कुंवर सिंह भंडारी, डॉ. उत्तम सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।  

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