संविदा कर्मियों को लगा करारा झटका, शासन ने लगाई नियमितीकरण पर रोक

हाईकोर्ट के 24 जनवरी को दिए गए अंतरिम आदेश के क्रम में शासन ने तत्काल प्रभाव से पांच वर्ष पूरे करने वाले संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 21 Feb 2017 11:25 AM (IST) Updated:Wed, 22 Feb 2017 04:00 AM (IST)
संविदा कर्मियों को लगा करारा झटका, शासन ने लगाई नियमितीकरण पर रोक
संविदा कर्मियों को लगा करारा झटका, शासन ने लगाई नियमितीकरण पर रोक

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: पांच साल की सेवा के बाद नियमितीकरण की बाट जोह रहे संविदा कर्मियों को करारा झटका लगा है। हाईकोर्ट के 24 जनवरी को दिए गए अंतरिम आदेश के क्रम में शासन ने तत्काल प्रभाव से पांच वर्ष पूरे करने वाले संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं, एक अन्य अपील पर सात वर्ष की सेवा पूरी करने वाले आउटसोर्स कर्मियों को संविदा पर रखने के निर्णय का भी अनुपालन करने की तैयारी है।

प्रदेश सरकार ने चुनाव से ऐन पहले बीते वर्ष 14 दिसंबर को प्रदेश में दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक तथा तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मियों का विनियमितीकरण (संशोधन) नियमावली जारी की थी। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा पर तैनात ऐसे कर्मियों को नियमित करने की बात की गई थी, जिनकी 31 दिसंबर 2016 में पांच वर्ष की सेवा पूर्ण हो गई हो।

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ऐसे कर्मचारियों की संख्या दस हजार से अधिक है। सरकार के इस कदम को चुनाव से जोड़कर देखा गया। दरअसल, संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए पूर्व में चली पत्रावलियों पर कार्मिक एवं वित्त विभाग ने आपत्ति जताई थी। बावजूद इसके, सरकार ने इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए इस फैसले पर मुहर लगाई।

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सरकार के इस आदेश के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 24 जनवरी को एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें सरकार की ओर से 14 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन के तहत होने वाली प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगा दी गई। अब प्रभारी सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकि ने सभी विभागों को पत्र लिखकर कोर्ट के निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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वहीं, कोर्ट की ओर से उपनल व अन्य आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कार्य करने वाले कर्मियों की सात वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर संविदा पर रखे जाने के निर्णय पर भी रोक लगाई गई है। प्रदेश में तकरीबन 20 हजार से अधिक उपनल कर्मी हैं। चुनाव से पहले ये लोग भी नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। सरकार ने चुनाव से ऐन पहले इन्हें भी संविदा पर लेने का निर्णय लिया था।

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इनमें तकरीबन पांच हजार से अधिक ऐसे कर्मी हैं, जो विभिन्न विभागों में सात वर्ष अथवा उससे अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कैबिनेट की ओर से इन्हें संविदा पर लेने के निर्णय को भी एक याचिका के जरिये हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट इस मामले में भी एक अंतरिम आदेश के तहत रोक लगा कर सरकार से जवाब तलब कर चुका है। अब इस निर्णय का अनुपालन करने की भी तैयारी चल रही है। साथ ही, शासन कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहा है।

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