विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही उत्तराखंड कांग्रेस में सिर फुटव्वल

वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य में कांग्रेस के भीतर सिर फुटव्वल तेज हो गई है। हरीश रावत की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी

By Edited By: Publish:Tue, 07 Jan 2020 10:09 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jan 2020 08:15 PM (IST)
विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही उत्तराखंड कांग्रेस में सिर फुटव्वल
विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही उत्तराखंड कांग्रेस में सिर फुटव्वल

देहरादून, राज्य ब्यूरो। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य में कांग्रेस के भीतर सिर फुटव्वल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर उनके समर्थक विधायकों करन माहरा और हरीश धामी ने नेता कांग्रेस विधानमंडल दल इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को सीधे तौर पर निशाने पर लिया। 

उन्होंने कहा कि 2022 में हरीश रावत के बगैर कांग्रेस की प्रदेश में वापसी मुमकिन नहीं है। जवाब में इंदिरा और प्रीतम ने कहा कि हरीश रावत खुद हाईकमान हैं। हम किसी को किनारे लगाने या बीच में रखने की स्थिति में नहीं हैं। प्रीतम सिंह ने कहा कि वर्ष 2017 में कांग्रेस भले ही 11 सीटों पर सिमट गई हो, लेकिन 2022 में पार्टी 42 सीटें जीतेगी। 

उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर एकजुटता तार-तार होने लगी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच मनमुटाव थमने का नाम नहीं ले रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में अभी दो साल से ज्यादा वक्त शेष है, मगर राज्य में कांग्रेस नेताओं ने अभी से एकदूसरे पर सियासी हमले तेज कर दिए हैं। एक दिनी विधानसभा सत्र के दौरान गुटीय खींचतान थमने के बजाए अपने चरम पर दिखाई दी। 

पार्टी विधायकों में विधानसभा के भीतर और बाहर दरार चौड़ी होती दिखाई दी। विधायक करन माहरा और हरीश धामी मंगलवार को विधानसभा पहुंचे, लेकिन नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष से खिंचे-खिंचे रहे। सदन के भीतर कांग्रेस विधायकों में तालमेल की कमी साफ झलकी। 

विधानसभा पहुंचने पर सुबह दोनों विधायकों ने 28 दिसंबर को दून में आयोजित पार्टी की संविधान बचाओ, भारत बचाओ रैली में हरीश रावत की उपेक्षा के लिए इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह को जिम्मेदार ठहराया। मीडिया से बातचीत में करन माहरा ने कहा कि हरीश रावत की उपेक्षा आत्मघाती कदम है। उनके बगैर प्रदेश में पार्टी की वापसी नहीं हो सकती। प्रदेश संगठन और नेता विधानमंडल दल को पार्टी के अंदरूनी झगड़ों को बाहर नहीं लाना चाहिए। 

उन्होंने आरोप लगाया कि इंदिरा हृदयेश ने हरीश धामी और उन्हें लेकर गलत बयानी की। सात जनवरी को विधायकों के साथ बैठक का इंतजार नहीं किया। विधायक हरीश धामी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस में एक ही सर्वमान्य नेता हरीश रावत हैं। वर्ष 2022 के चुनाव उनके ही नाम पर लड़े जाएंगे। 

जवाब में इंदिरा हृदयेश ने कहा कि उनकी और प्रदेश अध्यक्ष की प्राथमिकता जनता की इच्छा के अनुरूप राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने की है। हम अपना काम करते रहेंगे। पार्टी विवाद नहीं चाहती। इतनी उम्र के बाद हम दीवार पर सिर मारने को तैयार नहीं हैं। 

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प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि हरीश रावत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, सीडब्ल्यूसी सदस्य और असोम प्रभारी हैं। उनकी उपेक्षा का सवाल ही नहीं उठता। विधायक धामी के उन्हें पार्टी से निकालने की चुनौती पर उन्होंने कहा कि धामी जनाधार वाले नेता हैं। पार्टी से उन्हें निकालने का सवाल नहीं उठता। विधायकों में असंतोष को उन्होंने पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र करार दिया।

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