उमेश समेत चार पर राजद्रोह का मुकदमा, सरकार को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप

सरकार को अस्थिर करने के आरोप में पुलिस ने उमेश शर्मा राजेश शर्मा सहित चार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 01:51 PM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 01:51 PM (IST)
उमेश समेत चार पर राजद्रोह का मुकदमा, सरकार को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप
उमेश समेत चार पर राजद्रोह का मुकदमा, सरकार को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप

देहरादून, जेएनएन। झूठी खबरें प्रकाशित कर सरकार को अस्थिर करने के आरोप में पुलिस ने उमेश शर्मा, राजेश शर्मा सहित चार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस ने शुक्रवार देर रात राजेश शर्मा को सुमन नगर, चोरखाला स्थित घर से गिरफ्तार किया। आरोप है, मीडिया से जुड़े राजेश शर्मा ने ही उमेश शर्मा को दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। मामले की विवेचना के लिए डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने एसपी क्राइम लोकजीत सिंह के नेतृत्व में एसआइटी गठित कर दी है।

डीआइजी जोशी ने बताया कि डिफेंस कॉलोनी निवासी डॉ. हरेंद्र सिंह रावत ने नेहरू कॉलोनी थाने में सात जुलाई को तहरीर दी। जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ समय पहले उनके परिचित ज्योति विजय रावत ने उन्हें जानकारी दी कि उमेश शर्मा नामक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की है। वीडियो में बताया गया कि डॉ. हरेंद्र सिंह तथा उनकी पत्नी सविता रावत के बैंक खातों में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान नामक व्यक्ति ने स्वयं को झारखंड गो-सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के एवज में रिश्वत की धनराशि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने के लिए भेजी थी। इस पैसे के लेनदेन से संबंधित कुछ दस्तावेज भी वीडियो में दिखाए गए। 

साथ ही वीडियो में डॉ. हरेंद्र सिंह की पत्नी को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बड़ी बहन होने का दावा किया गया। आरोप है कि उमेश शर्मा व अमृतेश चौहान ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश के तहत उनकी निजी सूचनाओं को गैरकानूनी तरीके से हासिल करते हुए सार्वजनिक किया। डॉ. हरेंद्र सिंह रावत ने उमेश शर्मा के लगाए गए आरोपों की जांच के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इसकी जांच राजपत्रित अधिकारी को सौंपी गई। जांच में सभी तथ्य और दस्तावेज कूटरचित पाए गए। आरोपित उमेश शर्मा ने अपने अन्य साथियों के साथ समाचार चैनल और पोर्टल पर खबरें चलाईं।

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डीआइजी ने बताया कि गवाहों के बयान, साक्ष्यों, प्रसारित वीडियो व पुरानी पत्रवलियों की जांच के बाद पाया गया कि आरोपित उमेश शर्मा ने अमृतेश चौहान, एसपी सेमवाल तथा राजेश शर्मा के साथ मिलकर सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से कूटरचित दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए भ्रामक वीडियो प्रसारित किया। पुलिस ने राजेश शर्मा को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

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