बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने वालों की खैर नहीं, पुलिस अपनाएगी ये तरीका

भिक्षावृत्ति कराने वालों की अब खैर नहीं। पुलिस ऐसे लोगों और बच्चों को चिह्नित कर उनका डीएनए टेस्ट कराएगी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 04:37 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 08:19 PM (IST)
बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने वालों की खैर नहीं, पुलिस अपनाएगी ये तरीका
बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने वालों की खैर नहीं, पुलिस अपनाएगी ये तरीका

देहरादून, जेएनएन। बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने वालों की अब खैर नहीं। पुलिस ऐसे लोगों और बच्चों को चिह्नित कर उनका डीएनए टेस्ट कराएगी। इसका मकसद भिखारी गैंग से लेकर बच्चा चोर गिरोह तक पहुंचना है। पुलिस मुख्यालय ने इसे लेकर बच्चों पर काम करने वाले एनजीओ के साथ बैठक कर रणनीति बनाने का निर्णय लिया है।

चारधाम यात्रा से लेकर प्रमुख पर्वों पर अचानक भिखारियों की संख्या बढ़ जाती है। हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर में भिखारियों की सबसे ज्यादा संख्या है। चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में भी सीजन के दौरान पूरे रूट पर भिखारी खूब दिखते हैं। पुलिस ने कई अभियान चलाते हुए भिक्षावृत्ति में संलिप्त पाए गए बच्चों को न केवल सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) से लेकर परिजनों के सुपुर्द कराया। 

इसके अलावा कई बच्चों को बाल सुधार गृह भी भेजा। मगर, बच्चों की तस्करी कर उनको भिक्षावृत्ति में धकेलने वाले गैंग तक पुलिस नहीं पहुंच पाई। पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन अपराध है। अभी तक पुलिस ने अभियान के दौरान बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराते हुए स्कूल में दाखिला दिलाने के साथ ही परिजनों के सुपुर्द किया। मगर, अब पुलिस ने बच्चों के असली माता-पिता का पता करने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए 22 अप्रैल को पुलिस मुख्यालय में बैठक रखी गई है। बैठक में एनजीओ, बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों को भी बुलाया गया है। 

भीख मांगने को बांटे जाते हैं जोन 

चारधाम यात्रा के दौरान भिखारी चारों धाम, यात्रा रूट और प्रमुख पड़ावों को अलग-अलग जोन में बांट देते हैं। यह काम पूरी तरह से गोपनीय होता है। इस दौरान यदि किसी दूसरे ग्रुप की एंट्री पहले से जमे भिखारियों के जोन में होती है तो विवाद की स्थिति बन जाती है।

परिजनों के पास ये प्रमाण

भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों के परिजनों के पास अभी तक सिर्फ बर्थ सर्टिफिकेट या गांव के प्रधान का प्रमाणपत्र होता है। ऐसे में पुलिस इन प्रमाणपत्रों के आधार पर खुद को बच्चों के असली माता-पिता बताने वालों पर भरोसा कर लेती है।

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