चरस संग पकड़ी महिला रिहा, पुलिस टीम के मोबाइल जब्त; एफएसएस करेगी जांच

महिला को चरस के साथ गिरफ्तार करना पुलिस के गले की फांस बन गया है। रिमांड पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पुलिस की बताई गई कहानी फर्जी प्रतीत हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 03:33 PM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2019 03:33 PM (IST)
चरस संग पकड़ी महिला रिहा, पुलिस टीम के मोबाइल जब्त; एफएसएस करेगी जांच
चरस संग पकड़ी महिला रिहा, पुलिस टीम के मोबाइल जब्त; एफएसएस करेगी जांच

देहरादून, जेएनएन। बिंदाल बस्ती से महिला को चरस के साथ गिरफ्तार करना पुलिस के गले की फांस बन गया है।  रिमांड पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पुलिस की बताई गई कहानी फर्जी प्रतीत हो रही है। अदालत ने महिला को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम के मोबाइल जब्त कर एफएसएस से जांच कराने आदेश देते हुए 30 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। 

नशे के खिलाफ ताबड़तोड़ चल रही दून पुलिस की कार्रवाई पर इस बार विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस सुबीर कुमार की अदालत ने प्रश्न चिन्ह लगाया है। हुआ यह कि कैंट कोतवाली के बिंदाल चौकी पर तैनात एसआई ताजवर सिंह, कांस्टेबिल सचिन व महिला कांस्टेबिल संगीता आर्य ने बिंदाल बस्ती की रहने वाली नीलम पत्नी किशोरी साहनी को बुधवार की शाम छह बजे के करीब 240 ग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किया। अब इस तरह की कार्रवाई के दौरान राजपत्रित अधिकारी की मौजूदगी होनी चाहिए तो एसआइ ने प्रशिक्षु क्षेत्रधिकारी अनुषा बडोला को बुलाया। फर्द तैयार हुई और नीलम को लॉकअप में डाल दिया गया। 

गुरुवार को पुलिस ने नीलम को एनडीपीएस कोर्ट में पेश किया। यहां रिमांड पर बहस शुरू हुई तो नीलम के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उसकी मुवक्किल का कुछ महीने पहले अपने पड़ोसी से झगड़ा हो गया था। नीलम ने उन्हें चरस आदि न बेचने को कहा था, जिस पर उसके पड़ोसियों ने उसके घर पर हमला बोला था और नीलम व उसके घर वालों की पिटाई भी की थी। नीलम ने एसएसपी आफिस के शिकायत प्रकोष्ठ में इस संबंध में कार्रवाई के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था। वहीं, नौ सितंबर को नीलम के भाई ने भी बिंदाल बस्ती में नशा बेचे जाने की शिकायत पुलिस से की थी। इन शिकायतों पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, अलबत्ता नीलम को ही चरस के साथ गिरफ्तार कर लिया। 

अदालत ने नीलम को तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि प्रकरण पर गौर करने से प्रतीत हो रहा है कि पुलिस ने अपराध की शिकायत करने वाले को ही अपराध में बंद कर दिया। पुलिस द्वारा बताई जा रही कहानी फर्जी प्रतीत हो रही है। अदालत ने कहा कि टीम में शामिल पुलिस कर्मियों के मोबाइल जब्त कर लिए जाएं और उनका फोरेंसिक विश्लेषण कर यह पता लगाया जाए कि किस पुलिस कर्मी की किससे कब बात हुई और पूरे दिन उनकी लोकेशन कहां-कहां थी। साथ ही आइजी गढ़वाल और एसएसपी देहरादून को प्रकरण की जांच करा कर दोषी पाए जाने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त दंड से दंडित करने को भी कहा है। 

एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि अदालत के आदेश का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण उपरांत अपील किए जाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। अदालत के आदेश के अनुसार सभी पुलिस कर्मियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं। जांच कराई जा रही है, जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

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दोपहर में उठाया था नीलम को 

नीलम के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने उसे बुधवार को दिन में ही हिरासत में ले लिया था, लेकिन मुकदमे में गिरफ्तारी का वक्त शाम छह बजे का बताया गया है। इसे लेकर भी बचाव पक्ष ने पुलिस की कार्रवाई पर संदेह व्यक्त किया था। 

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