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पहली बार बिजली से रोशन होंगे चीन सीमा से लगे गांव, अभी तक इस तरह करते हैं रात का अंधियारा दूर

आजादी के बाद कई दशकों तक विकास के मामले में पीछे छूट गई चीन सीमा से लगे गांवों में अब विकास को पंख लग रहे हैं। सीमा के गांवों को वाइब्रेंट विलेज का दर्जा मिलने के साथ ही यहां सभी आधारभूत सुविधायें तेजी से बढ़ाई जा रही है। बिजली से वंचित गांवों के लिए 85 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है।

By omprakash awasthi Edited By: Aysha Sheikh Published: Mon, 29 Apr 2024 08:36 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 08:36 AM (IST)
पहली बार बिजली से रोशन होंगे चीन सीमा से लगे गांव, अभी तक इस तरह करते हैं अंधियारा दूर

तेज सिंह गुंज्याल, धारचूला। आजादी के बाद कई दशकों तक विकास के मामले में पीछे छूट गई चीन सीमा से लगे गांवों में अब विकास को पंख लग रहे हैं। सीमा के गांवों को वाइब्रेंट विलेज का दर्जा मिलने के साथ ही यहां सभी आधारभूत सुविधायें तेजी से बढ़ाई जा रही है।

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शासन ने धारचूला की व्यांस और दारमा घाटी में बिजली से वंचित गांवों के लिए 85 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है। व्यास घाटी के करीब डेढ़ दर्जन और दारमा घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। ग्रामीण सोर ऊर्जा से ही रातों का अंधियारा दूर कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सीमा क्षेत्र में पहुंचने के बाद अब इन गांवों को नेशनल ग्रिड से जोड़ने के कार्य को स्वीकृति मिली है। इसके लिए 85 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। लाइन बिछाने के लिए टेंडर आमंत्रित कर लिया गया था, लेकिन आचार संहिता के चलते अभी इसे खोला नहीं गया है। आचार संहिता खत्म होते ही लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो जायेगा।

लाइन बिछाने का कार्य कब होगा पूरा?

नेशनल ग्रिड से जोडने के लिए तवाघाट से गुंजी तक 33 केवी की लाइन बिछाई जायेगी, जो लगभग 65 किमी. लंबी होगी। गुंजी से कालापानी, कुटी के लिए 11 केवी की लाइन का प्रस्ताव बनाया गया है। इसी तरह दारमा घाटी के लिए सीपू, मार्छा तक 11 केवी की लाइन बिछाई जायेगी। लाइन बिछाने का कार्य इसी वर्ष के अंत तक पूरा कर लिये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

दारमा और व्यास घाटी के लिए विद्युत लाइन बिछाये जाने के कार्य को स्वीकृति मिल गई है। आचार संहिता खत्म होने के बाद टेंडर खोले जायेंगे और कार्य शुरू कर दिया जायेगा। लाइन बिछ जाने से सीमा क्षेत्र के गांव ऊजीकृत हो जायेंगे। - राजेंद्र सिंह गुंज्याल, अधीक्षण अभियंता, यूपीसीएल


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