सोया रहा रेलवे चलती रही रेल, बस गई बस्ती हो गया खेल; 10 साल में ट्रैक किनारे काफी अतिक्रमण

Railway Encroachment हरिद्वार-देहरादून रेलवे ट्रैक के किनारे बसी अवैध बस्ती की कई झुग्गी-झोपड़ियां अब पक्के मकानों का आकार ले चुकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 11 Sep 2020 05:19 PM (IST) Updated:Fri, 11 Sep 2020 10:54 PM (IST)
सोया रहा रेलवे चलती रही रेल, बस गई बस्ती हो गया खेल; 10 साल में ट्रैक किनारे काफी अतिक्रमण
सोया रहा रेलवे चलती रही रेल, बस गई बस्ती हो गया खेल; 10 साल में ट्रैक किनारे काफी अतिक्रमण

ऋषिकेश, जेएनएन। Railway Encroachment रायवाला के पास हरिद्वार-देहरादून रेलवे ट्रैक के किनारे बसी अवैध बस्ती की कई झुग्गी-झोपड़ियां अब पक्के मकानों का आकार ले चुकी है। यह बस्ती बीते 10 वर्षों के भीतर तेजी से बढ़ी, लेकिन रेलवे ने कभी इस तरफ गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया।

1890 के आसपास हरिद्वार-देहरादून के बीच रेल लाइन बिछाई गई थी। यह रेल लाइन अधिकांशतया रायवाला कस्बे को छोड़कर जंगल से गुजरती थी। 1980 में राजाजी पार्क के अस्तित्व में आने के बाद भी रेल लाइन का अधिकांश भाग राजाजी पार्क की मोतीचूर रेंज और कांसरो वन रेंज से गुजरता है। रायवाला कस्बा विस्तार लेता गया और नदी-नालों और सरकारी भूमि पर अवैध बस्तियां बसने लगी। यहां की झुग्गी-झोपड़ी अब तेजी से पक्के मकानों में तब्दील हो रही है। बस्ती में तकरीबन 100 परिवार हैं, जो कि ट्रैक के एक तरफ के करीब पांच सौ मीटर के दायरे में बसे हैं। 

इस आबादी पर शुरुआत में न तो रेलवे और ना ही स्थानीय प्रशासन ने गौर किया, जिससे हौसले बढ़ते गए और यहां बस्ती भी फलती-फूलती रही। वोट बैंक के लिए जन प्रतिनिधियों ने भी इस अवैध बस्ती को सरकारी लाभ देकर और सुदृढ़ किया। आज यहां के नागरिकों के पास बिजली-पानी के कनेक्शन, वोटर और आधार कार्ड, राशन कार्ड हैं। कुल मिलाकर रेल विभाग समय रहते इस बस्ती को पनपने से रोक देता तो आज यह नासूर न बनी होती।

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जीआरपी देहरादून के इंस्पेक्टर प्रताप सिंह नेगी भी मानते हैं कि इस तरह की बस्तियों पर समय रहते उचित कार्रवाई होनी चाहिए,  लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि रायवाला के पास बसी अवैध बस्ती को लेकर उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है।

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