Unlock: उत्तराखंड में 84 दिन में खुले एक हजार लघु उद्योगों के ताले, केंद्र की ये योजना भी बनी मददगार
लॉकडाउन के दौरान तकरीबन तीन माह तक थमा रहा उद्योगों का पहिया अब पटरी पर लौटता नजर आ रहा है। अनलॉक के पहले चरण से 22 सितंबर तक 84 दिन के दरमियान एक हजार से ज्यादा सूक्ष्म लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हुआ है।
देहरादून, अशोक केडियाल। उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान तकरीबन तीन माह तक थमा रहा उद्योगों का पहिया अब पटरी पर लौटता नजर आ रहा है। अनलॉक के पहले चरण (एक जुलाई) से 22 सितंबर तक 84 दिन के दरमियान में प्रदेश में एक हजार से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हुआ है। यह भविष्य के लिए सुखद संकेत है। जो यह भी बताता है कि धीरे-धीरे ही सही, प्रदेश की अर्थव्यवस्था सामान्य होने की दिशा में आगे बढ़ने लगी है।
कोरोना वायरस से जूझ रहे प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विपरीत परिस्थितियों में उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। चौतरफा मंदी की मार के बीच भी ये उद्योग न सिर्फ उत्पादन बढ़ा रहे हैं बल्कि बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार भी दे रहे हैं। खास बात यह है कि अनलॉक में दोबारा शुरू हुए एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों में से 460 प्रदेश के छह पहाड़ी जिलों में स्थापित हैं। इन औद्योगिक इकाइयों के शुरू होने से 1123 को रोजगार मिला है।
केंद्र की योजना भी बनी मददगार
कोरोना संक्रमण के बीच जुलाई में केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर में तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करने का रोडमैप तैयार किया था। इसके तहत एमएसएई ऋण योजना धरातल पर लाई गई, जिससे लॉकडाउन में आर्थिक और अन्य कारणों से बंद हुए लघु उद्योगों को पुनर्जीवित किया जा सके। प्रदेश के लघु उद्योगों को दोबारा पटरी पर लाने में यह योजना काफी मददगार साबित हुई। अभी तक 820 लघु उद्योगों ने केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ उठाते हुए एक लाख से पांच लाख रुपये तक का ऋण बैंकों से प्राप्त किया है। उद्योग निदेशक सुधीर चंद नौटियाल ने बताया कि उद्योगों को गति देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद की जा रही है।
पहाड़ी जिलों में सूक्ष्म उद्योग
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों उत्तरकाशी, टिहरी, चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी में मौसमी फलों, हस्तशिल्प व हथकरघा, मशरूम उत्पादन, जैम, जेली, चटनी, अचार, पहाड़ी दाल, जड़ी बूटियों, मछली पालन, बागवानी, फर्नीचर, फूलों की खेती, दूध उत्पादन, भेड़ पालन, पशु चारा उत्पादन, होम स्टे, पर्यटन से जुड़े करीब 30 हजार एमएसएमई उद्योग पंजीकृत हैं।
एमएसएमई रोकेगा पहाड़ों से पलायन
लघु उद्योग भारती के प्रदेश महासचिव विजय सिंह तोमर और प्रदेश फूड प्रोसेसिंग इकाई संगठन के प्रदेश समन्वयक अनिल मारवाह का मानना है कि केंद्र सरकार की लघु उद्योगों के उत्थान के लिए बनाई गई समग्र विकास योजना पहाड़ से पलायन रोकने में सार्थक साबित हो सकती है। इस योजना की मदद से प्रदेश के सात पहाड़ी जिलों में दो साल के भीतर 30 हजार नए लघु उद्योग शुरू किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिना गारंटी के ऋण सुविधा और ई-मार्केट को बढ़ावा दे। जिससे ग्रामीण इलाकों के युवा स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित हों।
उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसो. के अध्यक्ष पंकज गप्ता का कहना है कि राज्य सरकार को उद्योगों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अभी बाजार में न तो मांग है और न फंसा हुआ पैसा वसूल हो रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण कामगारों की संख्या भी सीमित है। सरकार ने उद्यमियों को लॉकडाउन की 57 दिन की अवधि में बिजली बिल में रियायत देने की घोषणा की थी, जिसे अभी तक मंजूर नहीं किया गया। उद्यमियों को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड की आर्थिक विकास दर को झटका, जानिए कितने फीसद की आई गिरावट
वहीं, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष राकेश भाटिया का कहना है कि कोरोना महामारी से उद्योगों को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने बेहतर पहल की थी। राज्य में एमएसएमई सेक्टर को आगे बढ़ाने में नौकरशाही रुचि नहीं लेती। केंद्र ने बीमार एमएसएमई को दोबारा चालू करने के लिए 20 हजार करोड़ का प्रविधान किया है तो इसका त्वरित लाभ दिखना चाहिए था, जो बहुत कम दिखाई दे रहा है। उद्योगों की सरकार अपने स्तर पर भी मदद करे।