Joshimath: हाईवे पर कई जगह धंसाव, अब विज्ञानियों की रिपोर्ट तय करेगी Badrinath Yatra का स्वरूप

Joshimath Sinking वर्तमान में बदरीनाथ धाम को जोड़ने वाला एकमात्र राजमार्ग है जो जोशीमठ से होकर गुजरता है। जोशीमठ से गुजर रहे बदरीनाथ राजमार्ग पर कई जगह धंसाव हुआ है। अब आठ संस्थानों के विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर बदरीनाथ धाम की यात्रा का स्वरूप तय होगा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 01 Feb 2023 09:51 AM (IST) Updated:Wed, 01 Feb 2023 09:51 AM (IST)
Joshimath: हाईवे पर कई जगह धंसाव, अब विज्ञानियों की रिपोर्ट तय करेगी Badrinath Yatra का स्वरूप
Joshimath Sinking: जोशीमठ से गुजर रहे बदरीनाथ राजमार्ग पर कई जगह धंसाव हुआ है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Joshimath Sinking: चमोली जिले के अंतर्गत जोशीमठ शहर में भूधंसाव के कारणों की जांच में जुटे आठ संस्थानों के विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर बदरीनाथ धाम की यात्रा का स्वरूप तय होगा। जोशीमठ से गुजर रहे बदरीनाथ राजमार्ग पर कई जगह धंसाव हुआ है।

विज्ञानियों की रिपोर्ट के बाद शासन यह तय करेगा कि इस राजमार्ग के जोशीमठ क्षेत्र वाले हिस्से में कितना भार डाला जाए। इस परिदृश्य के बीच जैसे संकेत मिल रहे हैं, वे इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस बार बदरीनाथ यात्रा नियंत्रित तरीके से ही संचालित होगी।

बदरीनाथ धाम को जोड़ने वाला एकमात्र राजमार्ग

वर्तमान में बदरीनाथ धाम को जोड़ने वाला एकमात्र राजमार्ग है, जो जोशीमठ से होकर गुजरता है। यद्यपि, आलवेदर चारधाम सड़क परियोजना के तहत जोशीमठ के नीचे से हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन जोशीमठ में आई आपदा के दृष्टिगत इसका निर्माण अस्थायी तौर पर रोका गया है।

इस बाईपास का भी आइआइटी रुड़की से भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जा रहा है। भूमि के उपयुक्त पाए जाने पर भी इसके निर्माण में ढाई साल का समय लगना तय है। ऐसे में इस यात्राकाल में उसका उपयोग किसी भी दशा में नहीं हो पाएगा।

बदरीनाथ यात्रा को लेकर विशेष तौर पर विमर्श हुआ

इस परिदृश्य के बीच जोशीमठ से होकर बदरीनाथ जाना ही एकमात्र विकल्प है। जोशीमठ को लेकर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सोमवार को हुई बैठक में भी चारधाम यात्रा और जोशीमठ की स्थिति के मद्देनजर बदरीनाथ यात्रा को लेकर विशेष तौर पर विमर्श हुआ।

कहा गया कि वर्तमान परिस्थितियों में बदरीनाथ यात्रा के लिए जोशीमठ से गुजरने वाला राजमार्ग ही बदरीनाथ पहुंचने का एकमात्र विकल्प है।

जोशीमठ आपदा के आलोक में बदरीनाथ यात्रा का स्वरूप क्या रहेगा, विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर इस बारे में उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। यात्रा के दृष्टिगत हर पहलू से मंथन चल रहा है।

-आनंद बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव एवं जोशीमठ को लेकर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष

उत्तराखंड में पहाड़ के शहरों की धारण क्षमता के आकलन को कसरत

चमोली जिले की जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए सरकार ने अब पर्वतीय क्षेत्र के शहरों की धारण क्षमता के आकलन की दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने धारण क्षमता के आकलन को एजेंसी तय करने के दृष्टिगत नियोजन विभाग को निर्देशित किया है। इस बारे में रिपोर्ट मिलने के बाद पहाड़ के प्रत्येक शहर की धारण क्षमता के आधार पर अलग-अलग भवन उपविधि के नियम निर्धारित करने के साथ ही अन्य कदम उठाए जा सकते हैं।

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित शहरों में भी जनदबाव बढ़ा है। मसूरी, नैनीताल जैसे शहर पहले से ही अधिक बोझ झेल रहे हैं। जोशीमठ शहर के आपदाग्रस्त क्षेत्र में भूधंसाव और भवनों में दरारें पड़ने के पीछे एक बड़ा कारण वहां भूमि में धारण क्षमता से ज्यादा भार होना माना जा रहा है।

पूर्व में आई विज्ञानियों की रिपोर्ट भी इस तरफ इंगित करती रही हैं। अब सरकार ने जोशीमठ से सबक लेकर पहाड़ के सभी शहरों की धारण क्षमता का आकलन कराने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही इस बारे में उच्चाधिकारियों को निर्देशित कर चुके हैं। अब शासन ने इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। अपर मुख्य सचिव (शहरी विकास व आवास) आनंद बद्र्धन के अनुसार नियोजन विभाग को पर्वतीय क्षेत्र के शहरों की धारण क्षमता के आकलन के लिए एजेंसी तय करने को जल्द कार्रवाई करने को कहा गया है। एजेंसी का चयन निविदा के आधार पर किया जाएगा।

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