पर्यटकों की पसंद बनी चौरासी कुटी, भर रही राजाजी राष्ट्रीय पार्क का खजाना

राजाजी राष्ट्रीय पार्क (अब राजाजी टाइगर रिजर्व) बनने के बाद शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) के रूप में महर्षि महेश योगी जो विरासत छोड़ गए थे वह आज राजाजी का खजाना भर रही है।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 05 Feb 2020 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 05 Feb 2020 08:43 PM (IST)
पर्यटकों की पसंद बनी चौरासी कुटी, भर रही राजाजी राष्ट्रीय पार्क का खजाना
पर्यटकों की पसंद बनी चौरासी कुटी, भर रही राजाजी राष्ट्रीय पार्क का खजाना

ऋषिकेश, दुर्गा नौटियाल। राजाजी राष्ट्रीय पार्क (अब राजाजी टाइगर रिजर्व) बनने के बाद शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) के रूप में महर्षि महेश योगी जो विरासत छोड़ गए थे, वह आज राजाजी पर नेमतें बरसा रही है। तीस साल गुमनामी के अंधेरे में पड़े रहने के बाद दोबारा जब इस विरासत को पर्यटकों के लिए खोला गया तो राजाजी को मानो कुबेर का खजाना मिल गया। इसकी बानगी है बीते चार वर्षों में चौरासी कुटी से पार्क प्रशासन को हुई करीब पौने दो करोड़ की आमदनी। 

भावातीत ध्यान योग के लिए विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी ने वर्ष 1961 में स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) के पास वन विभाग से 15 एकड़ भूमि लीज पर लेकर यहां शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। यहां उन्होंने अद्भुत वास्तु वाली चौरासी छोटी-छोटी कुटिया और सौ से अधिक गुफायें बनाकर इस जगह को ध्यान-योग केंद्र के रूप में विकसित किया। 

वर्ष 1968 में इस केंद्र को तब देश-दुनिया में प्रसिद्धि मिली, जब ब्रिटेन का विश्व प्रसिद्ध् म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स (जार्ज हैरिसन, पॉल मैकेनिक, रिंगो स्टार व जॉन लेनन) चौरासी कुटिया में आया। इसके बाद ऋषिकेश विश्व पटल पर योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में पहचाना जाने लगा। वर्ष 1983 में राजाजी नेशनल पार्क बनने और वर्ष 1986 में पार्क का सीमा विस्तार होने पर चौरासी कुटिया पार्क क्षेत्र में आ गई। 

पर्यटकों की आवाजाही के कठोर नियम होने और संसाधनों का विस्तार संभव न हो पाने की वजह से महर्षि महेश योगी ने इसे वन विभाग के सुपुर्द कर दिया और स्वयं अपने तामझाम के साथ नीदरलैंड चले गए। इसके साथ ही चौरासी कुटिया क्षेत्र में आम नागरिकों का प्रवेश वर्जित हो गया। नतीजा, देखरेख के अभाव में यहां कुटिया व गुफायें जजर्र हो गईं और पूरा परिसर बंजर होता चला गया। 

दिसंबर 2015 में वन विभाग ने इस परिसर की सफाई व मरम्मत कर इसे दोबारा पर्यटकों के लिए खोला। इसके बाद से देशी-विदेशी पर्यटक, छात्र व वरिष्ठ नागरिक निश्चित शुल्क अदा कर यहां घूमने के लिए आते हैं। चौरासी कुटी के खुलने के बाद यहां लगातार पर्यटकों की आमद और पार्क प्रशासन की आमदनी बढ़ती जा रही है। बीते चार वर्षों में 11370 विदेशी और 82195 भारतीय पर्यटक चौरासी कुटी पहुंच चुके हैं। इनसे राजाजी पार्क प्रशासन को 1.68 करोड़ की आमदनी हुई। 

चौरासी कुटी पहुंचे पर्यटक व प्राप्त राजस्व 

श्रेणी-----------------कुल पर्यटक---------राजस्व 

विदेशी---------------11370------------6822000        

भारतीय--------------54065------------8109750

वरिष्ठ नागरिक-----21377-----------1603275

विद्यार्थी---------------6753--------------270120

कुल-------------------93565-----------16805145

(आठ दिसंबर 2015 से 31 जनवरी 2019 तक)

चौरासी कुटी में प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क

विदेशी पर्यटक-----------600 रुपये

भारतीय पर्यटक---------150 रुपये 

वरिष्ठ नागरिक-----------75 रुपये

विद्यार्थी-------------------40 रुपये

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योग गतिविधियों को विस्तार देने की योजना 

राजाजी टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्राधिकारी धीर सिंह के मुताबिक, चौरासी कुटी में पर्यटकों की बढ़ती आमद को देखते हुए यहां कैंटीन व अन्य सुविधाएं विकसित की गई हैं। भविष्य में यहां योग केंद्र और अन्य गतिविधियों को भी विस्तार देने की योजना है। पर्यटकों से मिला राजस्व राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। 

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