फल, सब्जियों से गुलाल बनाने की कला सिखा रहीं गीतांजलि
दून की राजपुर निवासी गीतांजलि सक्सेना ने फल व सब्जियों से ऑर्गेनिक रंग तैयार किए हैं। खास बात यह है कि गीतांजलि ने चार अन्य लोगों को इसके माध्यम से रोजगार दे रहीं हैं।
देहरादून, जेएनएन। रंगों के बिना होली का मजा अधूरा है। लेकिन, इन रंगों से आपकी त्वचा बदरंग न हो इस बारे में विशेष ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसे में बात आती है खास ऑर्गेनिक रंगों की। सब्जी और फलों से तैयार किए इन रंगों की दून में भी मांग बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजपुर निवासी गीतांजलि सक्सेना ने फल व सब्जियों से ऑर्गेनिक रंग तैयार किए हैं। खास बात यह है कि गीतांजलि ने चार अन्य लोगों को इसके माध्यम से रोजगार दे रहीं हैं।
बाजार में तरह-तरह के रासायनिक रंग और प्लास्टिक की पिचकारियां, खिलौने, मास्क आ चुके हैं। आधुनिकता की इस चमक-धमक के बीच सीख संस्था की संस्थापक राजपुर रोड निवासी गीताजंलि सक्सेना ने होली के लिए विशेष ऑर्गेनिक रंग तैयार किए हैं। जिन्हें उन्होंने राजपुर रोड स्थित दुकान पर पर रखा है। खास बात यह है कि गीतांजलि जहां इन रंगों को बनाकर लोगों को रासायनिक रंगों के नुकसान के प्रति जागरूक कर रहीं हैं। वहीं, अपने साथ इस कार्य के जरिये चार अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ा है।
80 से 120 रुपये तक कीमत
गीतांजलि ने बताया कि ऑर्गेनिक रंगों के दाम सामान्य हैं। हालांकि, कई बार ग्राहक ऑर्गेनिक का नाम सुनकर बिना दाम पूछे वापस चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि 100 एमएल रोज वाटर की कीमत 70 से 100 रुपये रखी गई है। इसके अलावा गेंदा, चुकंदर 100-120 और पालक, मूली, गाजर आदि सब्जियों से तैयार रंग 80 से 100 रुपये प्रति 100 ग्राम हैं। खास बात यह है कि इन सभी रंगों की पैकिंग सिर्फ लिफाफे में पैक होती है।
ऑर्गेनिक होली इसलिए है बेहतर खेलने में बुरा नहीं लगता, कपड़ों पर लगने के बाद रंग आसानी से निकल जाता है। ऑर्गेनिक रंगों से पानी की भी बचत होती है। इन रंगों से अलग ही खुशबू आती है, चेहरे पर लगाने से चेहरे पर निखार आता है। रंग छुड़ाने की झंझट नहीं रहती। आंखों के अंदर जाने पर नुकसान नहीं पहुंचता।
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घर पर भी बना सकते हैं ऑर्गेनिक रंग
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