लूट में आइजी की कार का इस्तेमाल करने वाले दरोगा सहित चार गिरफ्तार

सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर से लूट करने के मामले में एसटीएफ ने एक दारोगा और दो सिपाहियों समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 17 Apr 2019 09:01 AM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2019 02:59 PM (IST)
लूट में आइजी की कार का इस्तेमाल करने वाले दरोगा सहित चार गिरफ्तार
लूट में आइजी की कार का इस्तेमाल करने वाले दरोगा सहित चार गिरफ्तार

देहरादून, जेएनएन। सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर से लूट करने के मामले में एसटीएफ ने एक दारोगा और दो सिपाहियों समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। वारदात में गढ़वाल परिक्षेत्र के आईजी कार्यालय की स्कार्पियो का इस्तेमाल किया गया। सीसीटीवी फुटेज में इसकी पुष्टि हो गई। बीती गत चार अप्रैल को हुई इस घटना के बाद से आरोपितों की गिरफ्तारी पर गफलत बनी हुई थी। 

प्रकरण की जांच कर रही एसटीएफ टीम ने पहले पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए और उसके बाद ही गिरफ्तारी को अंजाम दिया। इस बीच, आरोपितों पर लूट के अलावा अपहरण, सरकारी पद का दुरुपयोग का मामला भी दर्ज कर लिया गया है। अभी तक केवल लूट का मामला दर्ज था।

यह था पूरा मामला 

उत्तराखंड पुलिस के दामन को कलंकित करने वाली यह वारदात चार अप्रैल की रात को अंजाम दी गई थी। डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि प्रॉपर्टी  डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर वारदात के दिन डब्ल्यूआइसी में अनुपम शर्मा से प्रॉपर्टी  से संबधित रकम लेने गए थे। 

वहां से लौटते समय होटल मधुबन के सामने एक सफेद रंग की स्कार्पियो के चालक ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। उनके रुकते ही स्कार्पियो से दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उतरे। चुनाव की चेकिंग के नाम पर उन्होंने कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग कब्जे में ले लिया। 

जब अनुरोध ने इसका कारण पूछा तो वर्दीधारियों ने बताया कि स्कार्पियो में आइजी बैठे हैं और वे वाहनों में ले जाए जा रहे कैश की चेकिंग कर रहे हैं। कैश जब्त कर सरकारी स्कार्पियो में रख दिया गया। एक पुलिसकर्मी अनुरोध के साथ उनकी कार में आइजी की कार के साथ चलने लगा। सर्वे चौक के पास अनुरोध के साथ बैठे पुलिसकर्मी ने कार रोक दी और खुद उतर गया और उन्हें धमकाकर वहां से चुपचाप चले जाने को कहा। 

अगले दिन अनुरोध ने दून पुलिस से संपर्क किया। नकदी जब्त करने की बात सुन पुलिस हैरान रह गई, क्योंकि किसी भी स्तर पुलिस तक यह जानकारी नहीं पहुंची थी। तब पुलिस जांच शुरू की तो पाया कि स्कार्पियो आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित है और उसमें बैठे दारोगा दिनेश नेगी, सिपाही हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी ने वारदात को अंजाम दिया है। मामले में दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते जांच एसटीएफ को सुपुर्द कर दी गई। 

चारों आरोपी गिरफ्तार 

मंगलवार को एसटीएफ ने साजिशकर्ता अनुपम शर्मा समेत तीनों पुलिस कर्मियों को पूछताछ के लिए बुलाया था, जहां चारों को गिरफ्तार कर लिया। डीआइजी ने बताया कि मुकदमा आइपीसी की धारा 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना), 365 (अपहरण) व 170 (सरकारी पद का दुरुपयोग) की धारा जोड़ दी है। पहले मुकदमा 392 (लूट) और 120बी (साजिश रचना) की धाराओं में दर्ज हुआ था।

चुनावी सरगर्मी की आड़ में दिया वारदात को अंजाम

अनुपम शर्मा और आरोपित पुलिसकर्मियों ने काफी सोच-समझ कर लूट की वारदात को अंजाम देने के लिए चार अप्रैल की तारीख चुनी थी। दरअसल, इसके अगले दिन यानी पांच अप्रैल को राजधानी में एक बड़ी चुनावी सभा होनी थी। आरोपितों की उम्मीद थी कि चुनावी आपाधापी की आड़ में वह वारदात को चुनावी चेकिंग का रंग देकर आसानी से बच निकलेंगे। 

मगर कहते हैं न कि अपराधी कितनी ही साफगोई से प्लानिंग क्यों न तैयार करे, कहीं न कहीं उससे चूक हो ही जाती है। सर्वे चौक पर तैनात पीएसी के जवान के मोबाइल से आरोपित सिपाही के बातचीत करने की एक गलती ने पूरी वारदात की पटकथा को बेनकाब कर दिया। आरोपितों की गिरफ्तारी के साथ एसटीएफ इसी कहानी को तकनीकी साक्ष्यों के जरिये पुख्ता करने की कोशिश में जुटी है।

देहरादून पुलिस से लेकर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की जांच में हाईप्रोफाइल लूटकांड के घटनाक्रम और साजिश की पहेली लगभग खुल गई है। अनुपम समेत तीनों पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी से इस पर जांच एजेंसी की आधिकारिक मुहर भी लग गई है। 

सूत्रों की मानें तो अनुरोध पंवार को शहर में एक प्लॉट के लिए अनुपम शर्मा से दो करोड़ दस लाख रुपये लेने थे। इस रकम को देने के लिए अनुपम शर्मा तैयार नहीं हो रहा था, लेकिन अनुरोध पंवार बार-बार फोन करता रहा। मार्च के आखिरी दिनों में अनुपम ने ऐसी प्लानिंग तैयार करनी शुरू की कि वह अनुरोध को रकम का भुगतान भी हो जाए और रकम वापस लौट कर उसके पास आ जाए। 

इस पर उसने अपने दोस्त दारोगा दिनेश नेगी से बात की। दोनों की राजपुर रोड डब्ल्यूआइसी में कई बार मुलाकात हुई। एक-दो मुलाकात में आइजी गढ़वाल के ड्राइवर हिमांशु उपाध्याय और गनर मनोज अधिकारी भी मौजूद रहे। तय हुआ कि पांच अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देहरादून में रैली होने वाली है। एसपीजी समेत पूरे राज्य से अधिकारी सुरक्षा ड्यूटी के लिए देहरादून आए हुए हैं। 

इस चुनावी सरगर्मी के बीच वह कुछ देर के लिए आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कार्पियो का उपयोग कर सकते हैं। योजना बनी कि अनुपम के पेमेंट करने के बाद दिनेश नेगी आइजी बन कर सरकारी गाड़ी में बैठेगा और अनुरोध की गाड़ी को रोक कर चुनावी चेकिंग के नाम पर रकम जब्त कर लेगा। 

चूंकि लिखा-पढ़ी में यह रकम कहीं है नहीं तो अनुरोध पहले तो कुछ कहेगा नहीं और कहेगा भी तो कोई उसकी बात पर सहसा यकीन नहीं करेगा। एकबारगी यकीन कर भी ले तो कोई यह पता लगा पाने में नाकाम रहेगा कि गाड़ी किसकी थी और उसमें कौन लोग बैठे थे। 

योजना के मुताबिक चार अप्रैल की सुबह से ही अनुपम बार-बार पेमेंट ले जाने के लिए अनुरोध को फोन करने लगा। अनुरोध ने कहा कि वह इतनी बड़ी रकम ऐसे नहीं ले जाएगा। चुनाव को देखते हुए हरतरफ चेकिंग चल रही है। रुपयों के साथ पकड़ा गया तो वह क्या जवाब देगा। मगर अनुपम उसे पेमेंट देने के लिए पीछे ही पड़ गया। 

थक-हार कर अनुरोध चार अप्रैल की देर रात डब्ल्यूआइसी पहुंचा। यहां से उसने रकम ले जाने से इंकार कर दिया तो अनुपम के इशारे पर क्लब के एक पदाधिकारी ने खुद बैग लेकर अनुरोध की कार तक पहुंचा और बैग कार में छोड़ कर वहां से चला गया। अब अनुरोध के पास कोई चारा नहीं था। वह रुपये लेकर घर की ओर चले तो वही हुआ, जिसका उन्हें डर सता रहा था। राजपुर रोड पर होटल मधुवन के सामने आइजी गढ़वाल की स्कार्पियो में सवार पुलिस कर्मियों ने उसे रोक लिया और बैग कब्जे में लेकर भाग निकले।

फोन न करते तो मुश्किल था पकड़ा जाना

होटल मधुवन के सामने सिपाही हिमांशु उपाध्याय स्कार्पियो से उतर कर अनुरोध की गाड़ी में बैठकर सर्वे चौक तक आया था। सर्वे चौक पर वह अनुरोध की गाड़ी से उतरा तो उसने पाया कि उसका फोन तो स्कार्पियो में ही छूट गया है। तब हिमांशु ने सर्वे चौक पर ड्यूटी कर रहे पीएसी के जवान के मोबाइल से मनोज को फोन किया। 

वारदात के अगले दिन भी वह जवान उसी प्वाइंट पर तैनात था। अनुरोध की शिकायत के बाद डालनवाला पुलिस ने जांच शुरू की तो सबसे पहला क्लू सर्वे चौक के सीसीटीवी कैमरे से जवान के रूप में मिला। उसके मोबाइल से मनोज का मोबाइल नंबर मिला, जिससे पूरी घटना परत दर परत खुलती चली गई।

खुलासे में अहम भूमिका निभाएंगे साक्ष्य 

डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, अनुपम शर्मा समेत पुलिस कर्मियों के बयानों में विरोधाभास से सभी की भूमिका संदेह के घेरे में आ गए थी। गिरफ्तारी कर ली गई है और अब वारदात को तकनीकी साक्ष्यों के माध्यम से पुख्ता करना है। इसके साथ परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी खुलासे में अहम भूमिका निभाएंगे।

डब्ल्यूआइसी में एसटीएफ की दबिश, स्टॉफ के लिए बयान

एसटीएफ ने मंगलवार को डब्ल्यूआइसी में दबिश दी। एसटीएफ ने यहां मिले स्टॉफ से अलग-अलग पूछताछ की और चार अप्रैल के सीसीटीवी फुटेज भी देखा। एसटीएफ ने पाया कि दारोगा दिनेश नेगी चार अप्रैल को दिन में यहां आया था और अनुपम शर्मा से मिला था। 

इसकी पुष्टि डब्ल्यूआइसी के स्टॉफ ने भी की। एसटीएफ का कहना है कि दिन की मुलाकात के बाद साजिश को अंतिम रूम दिया गया और जब अनुरोध रात में रकम लेकर जब अनुरोध वहां से निकला तो राजपुर रोड पर आइजी की सरकारी स्कार्पियो में घात लगाकर बैठे पुलिसकर्मी पीछा कर उसे लूट लिया।

चार अप्रैल की रात हुई हाईप्रोफाइल लूटकांड का खुलासा दस अप्रैल को तब हुआ, जब डालनवाला कोतवाली में अनुरोध की तहरीर पर अनुपम शर्मा व तीन अज्ञात लोगों पर लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दो दिन तक इसकी विवेचना दून पुलिस के पास रही, उसके बाद बारह अप्रैल को इसे एसटीएफ के हवाले कर दिया गया। 

एसटीएफ ने वारदात को अंजाम के देने के आरोपितों से सोमवार से ही पूछताछ कर रही थी। सभी के बयान अलग-अलग थे, इस वजह से आरोपितों पर संदेह बढ़ता ही गया। मंगलवार को अब तक की जांच में सामने आई बातों के क्रास वेरीफिकेशन के लिए एसटीएफ की टीम डब्ल्यूआइसी पहुंची। 

टीम ने यहां पूरे स्टॉफ को बुलाकर घंटों पूछताछ की और अंदर-बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों के कई दिन के फुटेज खंगाले। यहां की दबिश के बाद साफ हो गया कि दारोगा दिनेश नेगी वारदात के दिन दोपहर में डब्ल्यूआइसी में मुख्य साजिशकर्ता अनुपम शर्मा से मिला था। 

फिर क्या था कि एसटीएफ ने सभी को गांधी रोड कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों को डालनवाला कोतवाली के लॉकअप में रखा गया। 

दून पुलिस की जांच पर लगी मुहर

सूत्रों की मानें तो पांच अप्रैल को प्रधानमंत्री की जनसभा के चलते अनुरोध की किसी पुलिस अधिकारी से मुलाकात नहीं हो पाई। छह अप्रैल को वह एसपी सिटी श्वेता चौबे से मिले। एसपी सिटी ने एसएसपी निवेदिता कुकरेती को पूरी बात बताई। तब तक उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि मामला इतना बड़ा है और तीन पुलिसकर्मियों ने वारदात को अंजाम दिया है। 

जांच आगे बढ़ी तो सर्वे चौक पर पीएसी जवान के मोबाइल से पहला सुराग मिला। पहले हिमांशु, फिर मनोज और उसके बाद दिनेश नेगी की संलिप्तता उजागर हो गई। वारदात में हैरान कर देने वाली सामने आने के बाद अफसर भी चकरा गए। एसएसपी ने नौ अप्रैल को आइजी गढ़वाल को बताया कि उनकी गाड़ी से ही वारदात को अंजाम दिया गया है और इसमें तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। 

अब चौंकने की बारी आइजी की थी। उन्होंने दस अप्रैल की भोर में मुकदमा दर्ज करवाया और जांच पर किसी तरह की उंगली न उठे, इसके लिए विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित करने की संस्तुति कर दी। 

रकम बरामदगी की चुनौती बरकरार

वारदात को लेकर काफी कुछ साफ हो चुका है, लेकिन लूट की रकम की बरामदगी की चुनौती अभी बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो वारदात को अंजाम देने के बाद स्कार्पियो म्युनिसिपल रोड होते हुए पुलिस लाइन गई थी। इस बीच गाड़ी आधे घंटे के लिए गायब रही। अब तक आरोपितों का यही बयान है कि बैग में रुपये थे ही नहीं, तो सवाल उठता है कि बैग खाली था तो किस बात के लिए इतना बड़ा रिस्क लिया गया। इस सवाल के जवाब के लिए डीआइजी एसटीएफ ने कुछ दिन और इंतजार करने को कहा है।

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