पूर्व राज्यपाल की पहल ने दी गरीब बेटियों के जीवन को दिशा, जानिए

अस्थायी राजधानी देहरादून की सहस्रधारा रोड पर वर्ष 2005 में राज्यपाल रहते हुए सुदर्शन अग्रवाल ने हिम ज्योति स्कूल की शुरुआत की।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 12:33 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 08:22 PM (IST)
पूर्व राज्यपाल की पहल ने दी गरीब बेटियों के जीवन को दिशा, जानिए
पूर्व राज्यपाल की पहल ने दी गरीब बेटियों के जीवन को दिशा, जानिए

देहरादून, सुकांत ममगाईं। नन्हें कदमों से पृथ्वी को नापना और छोटी-छोटी आंखों में पूरा आसमान समा लेना आसान नहीं है। लेकिन, यदि हौसला और भरोसेमंद मार्गदर्शक का साथ हो तो यह नामुमकिन भी नहीं। यही सोच और सपना लेकर उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल ने वर्ष 2005 में एक ऐसे स्कूल की नींव रखी, जो आज सैकड़ों परिवारों के सुनहरे भविष्य का गवाह बन समाज को गौरवान्वित कर रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं के लिए स्थापित 'हिम ज्योति स्कूल' ने उन तमाम छोटी-छोटी आंखों को खुला आसमान समेटने की गरिमा प्रदान की है, जो कभी एक दीये की रोशनी तक को तरसती थीं।

अस्थायी राजधानी देहरादून की सहस्रधारा रोड पर वर्ष 2005 में राज्यपाल रहते हुए सुदर्शन अग्रवाल ने हिम ज्योति स्कूल की शुरुआत की। इस पहल के साथ उन्होंने राजनीति और नौकरशाही से जुड़े तमाम लोगों को संदेश भी दिया कि अच्छे उद्देश्य के लिए किसी भी पद पर रहते हुए काम किया जा सकता है। उनकी इस दूरगामी सोच और सकारात्मक समझ का नतीजा आज सबके सामने है। इस स्कूल से 12वीं पास कर 180 छात्राएं या तो देश-विदेश के नामचीन विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं या फिर अच्छे संस्थानों में नौकरी। इस बात के मायने तब बेहद खास हो जाते हैं, जब पता लगे कि ये सभी बेटियां रिक्शा चालक, मजदूर, चपरासी, जिल्दसाज, आया, धोबी, दर्जी या दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वाले लोगों की हैं।

हर छात्रा पर सालाना एक लाख खर्च

निश्शुल्क शिक्षा, खाना और रहने की सुविधा देने वाले हिम ज्योति स्कूल में प्रवेश का एकमात्र आधार आर्थिक है। यहां किसी भी जाति, धर्म और परिवार की बच्चियां प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला पा सकती हैं। बशर्ते वो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से हों। हिम ज्योति उन आंखों की ज्योति बनकर सामने आया है, जिन्होंने सपने तक देखने छोड़ दिए थे। मौजूदा वक्त में स्कूल में पांचवीं से 12वीं तक 280 छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। छात्राओं की मानें तो यह केवल स्कूल नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला सीखने का केंद्र भी है। यहां विश्वास, सच्चाई और प्यार की भाषा सिखाई जाती है।

आत्मविश्वास जगाता है यह स्कूल 

अकादमिक स्तर की बात करें तो हिम ज्योति स्कूल में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद) पाठ्यक्रम लागू है और छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि, स्कूल में आने वाली तमाम छात्राएं सरकारी स्कूलों से होती हैं और अंग्रेजी पर उनकी पकड़ काफी कमजोर होती है, इसलिए शुरुआती वर्षों में शिक्षकों का फोकस इसी पर रहता है। छात्राओं को आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से अंग्रेजी बोलना, पढऩा और लिखना सिखाया जाता है।

हिम ज्योति में जिंदगी

हिम ज्योति स्कूल में छात्राओं की सुबह योग के साथ होती है। इसके बाद कक्षाएं, खेल, अगले दिन की तैयारी, टीवी पर समाचार और अंत में बिस्तर पर ही ध्यान के बाद सोना। इस व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद छात्राओं को मनोरंजन के लिए भी भरपूर वक्त दिया जाता है। सप्ताह के अंत में स्कूल से बाहर भ्रमण, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक फिल्म व वृत्तचित्र दिखाए जाते हैं। इनके अलावा कंप्यूटर गेम, शतरंज, लूडो, संगीत आदि की भी व्यवस्था छात्राओं के लिए है।

कुछ खास उपलब्धियां  स्कूल की छात्रा पूनम रावत पहले सिंगापुर और अब अमेरिका में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। अपनी काबिलियत के बूते उसे स्कॉलशिप के तहत यह मौका मिला। पूनम पौड़ी जिले के एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। स्कूल से पास छात्राएं अब दिल्ली के हंसराज कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, इंद्रप्रस्थ कॉलेज जैसे संस्थानों में पढ़ रही हैं।  स्कूल की छात्राएं एशियन यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन चिटगांव (बांग्लादेश) में भी पढ़ रही हैं।  स्कूल की छात्राएं आज शिक्षक, आइटी एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, पब्लिक रिलेशन ऑफीसर आदि के पदों पर कार्य कर रही हैं।

विद्यालय में हैं प्रत्येक कक्षा में 35 सीट 

मोनिका अरोड़ा (प्रधानाचार्य, हिम ज्योति स्कूल, देहरादून) का कहना है कि विद्यालय में प्रत्येक कक्षा में 35 सीट हैं। इनमें दो सिक्किम की छात्राओं के लिए आरक्षित रहती हैं। जबकि, शेष सीटों पर उत्तराखंड की छात्राओं को प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। यह प्रवेश परीक्षा हर साल फरवरी में आयोजित होती है।

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