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यहां अनूठी है मस्ती की पाठशाला, योग से सिखाते हैं कठिन प्रश्नों के हल

नालंदा शिक्षण संस्थान खदरी-श्यामपुर के सहायक अध्यापक राजेश पयाल छुट्टियों में बच्चों के लिए मस्ती की पाठशाला चलाते हैं। इसमें योग और खेल के जरिये कठिन प्रश्न का हल कराते हैं।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 10:38 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 08:39 PM (IST)
यहां अनूठी है मस्ती की पाठशाला, योग से सिखाते हैं कठिन प्रश्नों के हल
यहां अनूठी है मस्ती की पाठशाला, योग से सिखाते हैं कठिन प्रश्नों के हल

ऋषिकेश, दुर्गा नौटियाल। विद्यालयों की छुट्टियां हालांकि बच्चों की मौज-मस्ती के लिए होती हैं, लेकिन यही मस्ती यदि किसी खास पहल के साथ बच्चों से साझा की जाए तो न केवल छुट्टियों का मजा दोगुना हो जाता है। साथ ही बच्चों को भविष्य के लिए सीख भी मिलती है। बच्चों को ऐसी ही सीख दे रहे हैं नालंदा शिक्षण संस्थान खदरी-श्यामपुर (ऋषिकेश) के सहायक अध्यापक राजेश पयाल। वह छुट्टियों के दौरान अपने पैतृक गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए कार्यशाला आयोजित करते हैं। इसमें गणित व विज्ञान जैसे विषयों के जटिल प्रश्नों को खेल-खेल में हल करने की तकनीक बच्चों को सिखाई जाती है। 

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राजेश ऋषिकेश के मुनिकीरेती क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन उनका ग्रीष्म व शीतकालीन अवकाश पौड़ी जिले के यमकेश्वर प्रखंड स्थित अपने पैतृक गांव मराल में ही बीतता है। इस दौरान वह गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के लिए कार्यशाला का आयोजन करते हैं। यह सिलसिला बीते एक दशक से बदस्तूर जारी है। 

इन दिनों भी शीतकालीन अवकाश के चलते राजकीय प्राथमिक विद्यालय मराल में राजेश की अनूठी क्लास संचालित हो रही है। अच्छी बात यह कि इस क्लास को अटेंड करने के लिए बच्चे कोई बहाना भी नहीं बनाते, बल्कि खुशी-खुशी दौड़े चले आते हैं। बच्चे यहां योग एवं प्राणायाम सीखने के साथ ही कई महत्वपूर्ण ज्ञानवद्र्धक जानकारियां भी हासिल कर रहे हैं। 

इस दौरान गणित व विज्ञान के जटिल प्रश्नों को खेल-खेल में हल करने की तकनीक भी बच्चों को सिखाई जाती है, ताकि वह इन विषयों को बोझ न मानें। मस्ती की इस पाठशाला में बच्चे भी खुश हैं। वे खाली हाथ आते हैं और साथ ले जाते हैं ढेर सारा आत्मविश्वास और जीवन का व्यावहारिक ज्ञान। 

80 बच्चे हैं कार्यशाला का हिस्सा 

एक महीने तक चलने वाली इस कार्यशाला में अंग्रेजी विषय की कक्षाएं भी संचालित की जाती हैं। कार्यशाला में ग्रामीण परिवेश के ही 80 नौनिहाल प्रतिभाग कर रहे हैं। राजेश की इस पहल में गांव के युवा व ग्राम पंचायत प्रतिनिधि भी उनका सहयोग करते हैं।

अभिभावकों को भी रहता है कार्यशाला का इंतजार 

आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही निरुपमा इसी गांव की रहने वाली हैं। वह भी कार्यशाला में पहुंचकर बच्चों को अपने अनुभव बांट रही हैं। कार्यशाला के संयोजक राजेश पयाल बताते हैं कि ग्रीष्म व शीतकालीन अवकाश में आयोजित होने वाली इस कार्यशाला का बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है। 

बच्चों को सिखाते ही नहीं उनसे सीखते भी हैं

राजेश पयाल बताते हैं कि बच्चों के साथ छुट्टियां बिताना अविस्मरणीय अनुभूति है। इस दौरान हम बच्चों को सिखाते-सिखाते उनसे भी बहुत कुछ सीख जाते हैं। इसी बहाने बच्चे भी अपनी छुट्टियों का सदुपयोग करते हैं। कार्यशाला में कई नई चीजें उन्हें सीखने को मिल जाती हैं।

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