यहां टमाटर की खेती को नहीं काटे जंगल के पेड़, पाइप और रस्सियों का किया प्रयोग

देवघार खत के अटाल निवासी प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा ने पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती के लिए जंगलों के व्यापक स्तर पर दोहन को लेकर गहरी चिंता जताई है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 18 Jul 2020 04:39 PM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 04:39 PM (IST)
यहां टमाटर की खेती को नहीं काटे जंगल के पेड़, पाइप और रस्सियों का किया प्रयोग
यहां टमाटर की खेती को नहीं काटे जंगल के पेड़, पाइप और रस्सियों का किया प्रयोग

चकराता(देहरादून), जेएनएन। खेती-किसानी के क्षेत्र में कई पुरस्कार पाने वाले सीमांत देवघार खत के अटाल निवासी प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा ने पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती के लिए जंगलों के व्यापक स्तर पर दोहन को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने टमाटर की खेती के लिए किसानों से पेड़ों के झाड़ के बजाय पाइप और रस्सियों का प्रयोग करने की अपील भी की है।

चकराता ब्लॉक के सुदूरवर्ती अटाल पंचायत निवासी प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा का कहना है कि जौनसार-बावर के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है। यहां प्रतिवर्ष किसान सीजन में करोड़ों का टमाटर उत्पादन करते हैं। पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों को काटकर लकड़ी की झाड़ लगाई जाती है। हैरानी की बात यह है एक ओर हरेला के तहत पेड़ों को लगाया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों का व्यापक स्तर पर दोहन हो रहा है। हैरत देखिए इस ओर किसी पर्यावरणविद् और वन संरक्षक विभाग का ध्यान आज तक नहीं गया है। जिस कारण टमाटर की खेती के लिए बड़े स्तर पर जंगलों से पेड़ों का कटान जारी है। 

ऐसे में धीरे-धीरे जंगल साफ होते जा रहे हैं, जिससे बचाने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। टमाटर की खेती के लिए लकड़ी की झाड़ की जगह नया विकल्प उन्होंने तलाशा है। वह खेतों में पाइप-लोहे के एंगल से रस्सी के सहारे टमाटर की खेती कर रहे हैं। क्षेत्र के किसान भी नई तकनीक से टमाटर का उत्पादन करें तो पेड़ों का कटान रुक जाएगा। प्रगतिशील किसान प्रेमचंद ने कहा उनका प्रयास जंगलों को बचाने के लिए नई तकनीक से टमाटर की खेती को बढ़ावा देना है। 

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बता दें खेती-किसानी के क्षेत्र में प्रेमचंद को वर्ष 2012 से 2017 के बीच किसान भूषण, किसान सम्मान, प्रगतिशील किसान सम्मान, विस्मृत नायक सम्मान, जगजीवन राम किसान सम्मान जैसे कई पुरस्कार मिले हैं। प्रेमचंद ने कहा वर्ष 1994 में उन्होंने फलोत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अटाल में अनार की सफल खेती की। वर्तमान में वह 1.5 हेक्टेअर क्षेत्र में अनार की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा अटाल में नर्सरी प्लांट के तहत डेढ़ लाख पौधे तैयार किए गए। जिसे जौनसार-बावर, हिमाचल और उत्तर-प्रदेश के साढ़े तीन सौ कृषकों को दिए। वर्ष 2013 में अटाल में दो सौ कृषकों को एकजुट कर फल-सब्जी उत्पादन समिति बनाई और ग्राम स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरूआत की।

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