World Environment Day: फिक्की फ्लो ने दिया प्रकृति के साथ चलने का संदेश, पर्यावरण रक्षा पर जोर

World Environment Day विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर फिक्की फ्लो उत्तराखंड चैप्टर के सदस्यों ने वेबिनार के माध्यम से प्रकृति के साथ चलने का संदेश दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 09:02 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 09:02 AM (IST)
World Environment Day: फिक्की फ्लो ने दिया प्रकृति के साथ चलने का संदेश, पर्यावरण रक्षा पर जोर
World Environment Day: फिक्की फ्लो ने दिया प्रकृति के साथ चलने का संदेश, पर्यावरण रक्षा पर जोर

देहरादून, जेएनएन। World Environment Day विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर फिक्की फ्लो उत्तराखंड चैप्टर के सदस्यों ने वेबिनार के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा करने, महिलाओं की आर्थिकी सुधारने, पौधे रोपने व पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए कानून को कड़ाई से लागू करने पर जोर दिया।

गुरुवार को आयोजित बैक टू नेचर वेबिनार में देशभर के 17 फिक्की फ्लो चैप्टर और चार वाइ फ्लो चैप्टर ने भाग लिया। इस मौके पर मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 50 फीसद से ज्यादा जीडीपी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। 153 क्षेत्र ऐसे हैं, जहां संसाधन जीडीपी का विकास करने के लिए इन क्षेत्रों का समर्थन करते हैं। इनमें से 0.37 फीसद आंशिक रूप से निर्भर हैं लेकिन, 15 फीसद पूरी तरह से संसाधनों पर निर्भर हैं। ईकोलॉजी समावेशी अर्थव्यवस्था ही हमारे विकास में स्थिरता ला सकती है।

हाल के दिनों में, हमने अपने प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी की और इसके परिणाम भी भुगतने पड़े। यह समय ईकोसिस्टम को समझने का है। वहीं, वेबिनार में महिलाओं का आजीविका चलने के लिए पर्यावरण और प्रकृति का साथ और आने वाले समय में कुछ गांवों को गोद लेकर वहां की महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून बनाने का अधिकार दिए जाने पर चर्चा हुई। इस मौके पर कोमल बत्रा, डॉ. नेहा शर्मा समेत उत्तराखंड चैप्टर के पदाधिकारी कार्यकारी समिति के सदस्य मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें: अब पौध उगाने का झंझट खत्म, धान की होगी सीधे बुआई; जानिए कैसे

महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से समाज में आएगी समानता

फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जाह्नवी फूकन ने कहा कि वर्ष 2020-21 का विजन महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए जरूरी है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से ही समाज में समानता आएगी। अब समय है कि हम प्रकृति को समङों और आजीविका की उपलब्धता और विकल्पों को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक और स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करें। फ्लो की उत्तराखंड चैप्टर की अध्यक्ष किरण भट्ट टोडरिया ने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था में ईकोलॉजी के तरीकों की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

यह भी पढ़ें: Possitive India: पौड़ी के इस गांव की महिलाओं ने बंजर खेतों को आबाद कर जगाई उम्मीद

chat bot
आपका साथी