बुलंदी पर पहुंचा व्यक्ति भी कई बार होता है फेल, पढ़िए पूरी खबर

रूलक की ओर से फेलियर कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। संस्था ने ऐसे फेलियर लोगों को सम्मानित किया जिन्होंने असफलता के बावजूद जिंदगी में मुकाम हासिल किया है।

By Edited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 07:41 PM (IST) Updated:Sun, 24 Feb 2019 08:15 PM (IST)
बुलंदी पर पहुंचा व्यक्ति भी कई बार होता है फेल, पढ़िए पूरी खबर
बुलंदी पर पहुंचा व्यक्ति भी कई बार होता है फेल, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। दौड़ते हुए तो हर कोई गिरता रहता है। लेकिन, गिरने के बाद संभलना और आगे बढ़ना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, जब बात किसी छात्र के परीक्षा में फेल होने की आती है तो उसे उपेक्षित नजर से देखा जाता है, आखिर ऐसा क्यों। ऐसी ही संकुचित सोच रखने वाले लोगों को पद्मश्री एवं वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी समेत कई प्रमुख हस्तियों ने आइना दिखाने का काम किया है। जगूड़ी ने बताया कि उनके शिक्षक तो उनका परिचय ही फेलियर के रूप में दिया करते थे। लेकिन, हार को सबक के रूप में लिया जाए तो यह सफलता का मार्ग दिखाती है।

शुक्रवार को रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केंद्र (रूलक) की ओर से फेलियर कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। संस्था ने ऐसे फेलियर लोगों को सम्मानित किया, जिन्होंने असफलता के बावजूद जिंदगी में मुकाम हासिल किया है। मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि जीवन में फेल होना भी जरूरी है, तभी सफलता का महत्व महसूस होता है। 

उन्होंने पद्मश्री एवं साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी, पद्मश्री एंवं वैद्य बालेंदु प्रकाश, प्रो. योगेश चंद्र, ब्रिगेडियर (सेनि.) अनिल शर्मा, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप दत्ता, पत्रकार संजय श्रीवास्तव व महेश चंद्र कौशल को सम्मानित किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में पहचान बनाने वाली इन हस्तियों ने अपने-अपने जीवन से जुड़ी रोचक बातें साझा कीं। सभी ने बताया कि वह भी कई परीक्षाओं में फेल हुए हैं। लेकिन, हर हार को एक नये सबक के रूप में लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री एवं रूलक संस्था के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने कहा कि इस तरह के आयोजन का मकसद है कि फेल होने वाले छात्रों को प्रेरित किया जा सके। यह लोगों की उपेक्षा से भरी मानसिकता बदलने का भी प्रयास है।

हर किसी की रही रोचक कहानी: पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी

लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि वह हर कक्षा में फेल होते रहते थे। उनका स्कूल गांव से ढाई किलोमीटर दूर था। वह हमेशा हाफ टाइम पर स्कूल पहुंचा करते थे और थकान के कारण कक्षा में सो जाया करते। उनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। लेकिन, 12वीं के बाद उन्हें पढ़ाई की अहमियत समझ में आई और उन्होंने अध्ययन शुरू किया। आज साहित्य की दुनिया में जगूड़ी एक बड़ा नाम हैं। 

पद्मश्री बालेंदु : बालेंदु प्रकाश ने कहा कि वह भी एक बार फेल हुए हैं। लेकिन, फेल होने के बाद उन्होंने इसे सीख के तौर पर लिया और अच्छे अंकों से परीक्षा उत्तीर्ण की। आज आयुर्वेद के क्षेत्र में बालेंदु ने अलग पहचान बनाई है।

ब्रि. अनिल शर्मा: ब्रिगेडियर (सेनि.) शर्मा ने बताया कि वह सातवीं व 12वीं कक्षा में फेल हुए थे। इसके बाद मेडिकल की परीक्षा में भी पास नहीं हो सके। स्पो‌र्ट्स में अच्छा होने के कारण वह सेना में भर्ती हो गए। यहां वह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दम पर कामयाबी हासिल करते रहे और उच्च पद पर आसीन हुए। 

डॉ. कुलदीप दत्ता: दत्ता ने बताया कि वह दसवीं व 12वीं में टॉपर रहे थे। लेकिन, मेडिकल परीक्षा के दौरान उनकी सीट के पीछे एक छात्र नकल कर रहा था, जिसे वह परेशान न करने को कह रहे थे। लेकिन, इतने में ही एग्जामिनर वहां पहुंच गए और उन्हें नकल के आरोप में फेल कर दिया। अगली बार उन्होंने परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। इसके बाद किसी कारणवश शिक्षक की नाराजगी के चलते उन्हें फेल कर दिया। लेकिन, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज वे एक जाने-माने चिकित्सक हैं।

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