कैलाश सत्यार्थी बोले, उत्तराखंड में बाल श्रम रोकने को होंगे हर संभव प्रयास

शांति नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा उत्तराखंड में बाल श्रम को रोकने को हर संभव प्रयास किया जाएगा। मैं और मेरी पूरी टीम इसमें प्रदेश सरकार की मदद करने को तैयार है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 07:55 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 08:12 PM (IST)
कैलाश सत्यार्थी बोले, उत्तराखंड में बाल श्रम रोकने को होंगे हर संभव प्रयास
कैलाश सत्यार्थी बोले, उत्तराखंड में बाल श्रम रोकने को होंगे हर संभव प्रयास

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में बाल श्रम को रोकने को हर संभव प्रयास किया जाएगा। मैं और मेरी पूरी टीम इसमें प्रदेश सरकार की मदद करने को तैयार है। बाल श्रम में फंसे हर बच्चे को मुक्त करा कर उसे उसका बचपन जीने का हक दिलाना जरूरी है। यह बात शांति नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने स्मार्ट सिटी के तहत आयोजित 'चाइल्ड फ्रेंडली देहरादून' कार्यक्रम के विधिवत लांच पर कही।

शनिवार को आइएसबीटी के समीप एक निजी होटल में 'चाइल्ड फ्रेंडली देहरादून' कार्यक्रम के विधिवत लॉन्च के मौके पर मुख्य अतिथि रहे कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देहरादून को चाइल्ड फ्रेंडली कार्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला शहर बना कर यहां की सरकार ने इतिहास बना दिया है। लेकिन अब यहीं से इस सपने को मुकाम पर पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी भी सरकार और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के ऊपर आ गई है। कहा कि उत्तराखंड में शिक्षा में सुधार जरूर हो रहा है। लेकिन बाहर से आकर बस्तियों में रह रहे बच्चों की शिक्षा पर अभी काम होना जरूरी है। सबसे ज्यादा काम बेटियों के लिए करने की जरूरत है। जब बेटियां सुरक्षित होंगी, पढ़ेंगी तभी एक सुरक्षित और सभ्य समाज का निर्माण हो सकेगा।

एक भी बाल श्रमिक मिला तो कैसी स्मार्टनेस

शांति नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने हल्के -फुल्के अंदाज में कहा कि मेरी समझ नहीं आया, कि दून को स्मार्ट सिटी बनाने की जरूरत क्यों पड़ी। यहां तो बच्चों से लेकर साधु तक स्मार्ट हैं। फिर उन्होंने गंभीर होते हुए कहा कि अगर यहां एक भी बाल श्रमिक काम करता मिलता है, तो कैसी स्मार्टनेस। यह हमारी स्मार्टनेस पर सवाल होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के मामले में देश अब भी पिछड़ा है। जब सबसे पिछड़े वर्ग का बच्चा सबसे ऊंचे वर्ग के बच्चे के साथ एक ही स्कूल में बैठकर पढ़ेगा तो सामाजिक न्याय की शुरूआत होगी।

इन बातों पर करना होगा काम

-चाइल्ड फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना। यानि शहर में बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से निर्माण करना। इसमे बच्चों के लिए अलग बस स्टॉप बनाने से लेकर स्कूलों के पास जेब्रा क्रासिंग आदि बनाना शामिल है।

-चाइल्ड फ्रेंडली पालिसी और प्रोग्राम बनाना। इसमें सरकार के स्तर से बच्चों की सुरक्षा, पढ़ाई और भविष्य को ध्यान में रखते हुए नियम कानून तैयार करने होंगे।

-चाइल्ड फ्रेंडली कल्चर तैयार करना। इसकी शुरूआत घर से करनी होगी। बच्चों से जितनी अभिभावक अपेक्षा करते हैं उतनी ही उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरें। बच्चों के साथ उनका दोस्त बन कर रहें। यही चीज हर किसी को अपनानी होगी।

-अभिभावक, शिक्षक, पुलिस, धर्मगुरु, व्यापारी, पंचायत समेत समाज के हर वर्ग को बच्चों को मित्र बनाने की सोच अपनानी होगी और बच्चों के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करना होगा।

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पाकिस्तान ने नहीं करने दिया काम

सत्यार्थी ने अपने संबोधन के दौरान अपने कई पुराने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि शुरूआत में उन्होंने भारत के बाद नेपाल और पाकिस्तान में काम करना शुरू किया था। लेकिन पाकिस्तान प्रशासन से उन्हें समर्थन नहीं मिला। हालांकि वहां के लोगों और बच्चों ने खूब प्यार दिया। बताया कि आज के समय में वो अपनी संस्था के साथ 150 देशों में बचपन बचाओ आंदोलन के तहत काम कर रहे हैं।

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