ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायतें ही वसूलेंगी टैक्स, पढ़िए पूरी खबर
ग्रामीण इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियों के साथ ही जगह-जगह आयोजित होने वाले मेलों में लगने वाली दुकानों से सिर्फ जिला पंचायतें ही उपविधि बनाकर टैक्स वसूल कर सकेंगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियों के साथ ही जगह-जगह आयोजित होने वाले मेलों में लगने वाली दुकानों से निकट भविष्य में सिर्फ जिला पंचायतें ही उपविधि बनाकर टैक्स वसूल कर सकेंगी। पंचायतीराज एक्ट-2016 में इसे लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से गफलत की स्थिति बनी हुई है। इसे दूर करने के लिए सरकार अब एक्ट में संशोधन विधेयक लाने जा रही है।
अविभाजित उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली व्यवसायिक गतिविधियों के साथ ही दुकानों से जिला पंचायतें टैक्स वसूलती थीं। उत्तराखंड बनने के बाद भी ये व्यवस्था थी, लेकिन इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं समझी गई। लंबे इंतजार के बाद अस्तित्व में आए उत्तराखंड पंचायतीराज एक्ट-2016 में पंचायत द्वारा उपविधि बनाकर टैक्स वसूलने का जिक्र तो किया गया, लेकिन यह साफ नहीं किया कि त्रिस्तरीय पंचायतों में से यह कौन सी पंचायत होगी।
परिणामस्वरूप इस गफलत के चलते जिला पंचायतें आय में वृद्धि के इस स्रोत को लेकर सक्रिय नहीं हो पाईं। अब जबकि पंचायतों की आमदनी बढ़ाने के प्रयासों को लेकर सरकार सक्रिय हुई तो यह बिंदु भी उभरकर सामने आया। इसे देखते हुए अब पंचायतीराज एक्ट में संशोधन की तैयारी है।
शासन इन दिनों एक्ट में संशोधन के मसौदे को बनाने की कसरत में जुटा है। सूत्रों के अनुसार मसौदा करीब-करीब फाइनल होने को है। इसमें साफ किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों, दुकानों के अलावा समय- समय पर आयोजित होने वाले मेलों में लगने वाली दुकानों से जिला पंचायतें ही उपविधि बनाकर टैक्स वसूलेंगी।
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इसके लिए एक्ट में इससे संबंधित व्यवस्था में पंचायत के स्थान पर जिला पंचायत किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि आगामी कैबिनेट में मसौदा रखने के बाद विस के बजट सत्र में यह संशोधन विधेयक सदन में रखा जाएगा। इस व्यवस्था के अमल में आने पर जिला पंचायतों को अपनी आय में बढ़ोतरी का बड़ा साधन मिल जाएगा।
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