रिटायरमेंट पर घर का सपना, अब तक नहीं हुआ अपना; पढ़िए पूरी खबर

यूजेवीएन लि. से कंपनी सचिव पद से 31 दिसंबर 2018 को रिटायर होने पर अरुण सभरवाल ने अपने घर में प्रवेश करने का सपना देखा था जो बुक कराने के बाद भी नहीं मिला।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Thu, 23 Jan 2020 07:15 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jan 2020 07:15 PM (IST)
रिटायरमेंट पर घर का सपना, अब तक नहीं हुआ अपना; पढ़िए पूरी खबर
रिटायरमेंट पर घर का सपना, अब तक नहीं हुआ अपना; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएन) लि. से कंपनी सचिव पद से 31 दिसंबर 2018 को रिटायर होने पर अरुण सभरवाल ने अपने घर में प्रवेश करने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने एबीएल प्रोजेक्ट्स कंपनी की पनाश वैली टाउनशिप में 30 नवंबर 2017 को एक विला बुक कराया था। एक करोड़ तीन लाख 81 हजार 750 रुपये के विला के सापेक्ष वह बिल्डर को अब तक 95 लाख दो हजार 614 रुपये का भुगतान कर चुके हैं। हालांकि, उन्हें विला पर कब्जा नहीं दिया गया। रेरा में पहुंचे इस मामले में बिल्डर को कब्जा देने की तिथि तक जमा कराई गई राशि पर वास्तविक रूप से कब्जा देने तक 10.20 फीसद ब्याज अदा करने के आदेश दिए गए हैं। 

बिल्डर के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार, रिटायर्ड कंपनी सचिव को 31 दिसंबर तक कब्जा दिया जाना था। तय किया गया कि 21 दिसंबर तक निवेशक को 52.81 लाख रुपये की राशि अदा करनी होगी और इसके बाद ही निर्माण शुरू किया जाएगा। यह राशि भी रिटायर्ड कंपनी सचिव ने समय पर जमा करा दी, मगर तब भी समय पर काम शुरू नहीं किया गया। बताया गया कि अब कब्जा देने की नई तारीख फरवरी 2019 कर दी गई है। फिर तारीख जून 2019 व जुलाई 2019 बताई गई। तर्क दिया गया कि अधिकतर श्रमिक बिहार से हैं और वह होली से एक माह पहले अवकाश पर चले गए थे और होली के एक माह बाद आए। 

इस तरह किसी न किसी बहाने से निर्माण कार्य में देरी की गई और साथ में 95 लाख रुपये से अधिक की धनराशि वसूल करने के बाद भी कब्जा नहीं दिया गया। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बिल्डर को आदेश दिया कि वह जमा कराई गई राशि पर कब्जा देने की तिथि तक 10.25 फीसद वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करेंगे। ब्याज की गणना एक जनवरी 2019 से कब्जा देने की तिथि तक की जाएगी। भुगतान के लिए बिल्डर को 30 दिन का समय दिया गया है। 

पांच लाख रुपये घटाई कीमत 

बिल्डर ने क्लब और अन्य सुविधाओं के लिए रिटायर्ड कार्मिक से पांच लाख रुपये वसूल किए थे। लिहाजा, इस राशि को अवशेष राशि से घटा दिया जाएगा। इस राशि का भुगतान निवेशक बाद में सुविधाओं की पूर्ति के बाद करेंगे। 

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रिटायर्ड कार्मिक के 30 लाख यूजेेवीएन में फंसे 

रिटायर्ड कंपनी सचिव अरुण सभरवाल ने बताया कि विला में कब्जा न मिलने पर वह निगम के ही आवास में रह रहे हैं। इसके चलते उनकी ग्रेच्युटी आदि के 30 लाख रुपये फंसे हैं। लिहाजा, उन्होंने बिल्डर से क्षतिपूर्ति दिलाने की भी मांग की। हालांकि, रेरा अध्यक्ष ने कहा कि अभी न्याय निर्णायक अधिकारी तैनात नहीं हैं। उनकी तैनाती पर वह अलग से वाद दायर कर सकते हैं या तैनाती पर रेरा स्वयं प्रकरण को वहां संदर्भित कर देगा।

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