coronavirus से है लड़ना तो बढ़ाएं इम्युनिटी पावर, डाइट में शामिल करें ये चीजें

अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी तो कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में नियमित जीवनशैली की विशेष भूमिका होती है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Thu, 26 Mar 2020 04:47 PM (IST) Updated:Thu, 26 Mar 2020 04:47 PM (IST)
coronavirus से है लड़ना तो बढ़ाएं इम्युनिटी पावर, डाइट में शामिल करें ये चीजें
coronavirus से है लड़ना तो बढ़ाएं इम्युनिटी पावर, डाइट में शामिल करें ये चीजें

देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस को लेकर हो रहे शोध में यह बात सामने आई है कि अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी तो कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में नियमित जीवनशैली की विशेष भूमिका होती है। रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। कम नींद से शरीर में कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन के लेवल में बढ़ोतरी होती है। यह हॉर्मोन न केवल तनाव बढ़ाता है, बल्कि हमारे इम्युनिटी सिस्टम को भी कमजोर करता है। हल्की कसरत नियमित रूप से करते रहें। अगर आप सोसायटी में रहते हैं तो मॉर्निंग  वॉक कर सकते हैं, पर एक निश्चित दूरी के साथ। यह भी कोशिश करें कि आपके शरीर को सुबह की 20 से 30 मिनट तक धूप भी मिल सके। 

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मेटाबॉलिज्म का विशेष महत्व होता है। हमारा मेटाबॉलिज्म जितना अच्छा होगा, रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी उतनी ही बेहतर होगी। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए न केवल सुबह का नाश्ता जरूरी है, बल्कि नियमित अंतराल पर कुछ हेल्दी खाना भी आवश्यक है। 

दून अस्पताल की डायटीशियन रिचा कुकरेती डोबरियाल बताती हैं कि रोज की डाइट में कुछ खट्टे फल भी जरूर शामिल कीजिए। ये नींबू से लेकर संतरे, मौसंबी तक कुछ भी हो सकते हैं। अगर ये न खा सकें तो रोजाना कम से कम एक आंवला खाना भी पर्याप्त होगा। खट्टे फल विटामिन सी के अच्छे स्नोत होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के असर को कम कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। लहसुन, अदरक आदि में भी हमारी इम्युनिटी को बढ़ाने की क्षमता होती है और ये शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। एक बात और ध्यान देने वाली है, जितना ज्यादा पानी पीएंगे, शरीर के टॉक्सिन्स उतने ही बाहर निकलेंगे और आप संक्रमण से मुक्त रहेंगे। 

सामाजिक दूरी का कॉन्सेप्ट समझिए 

कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया के विकसित देश भी इस महामारी से बच नहीं पाए हैं और फिलहाल पूरे विश्व ने जो इससे बचने का उपाय ढूंढा है, वह है लॉकडाउन। भारत में भी 21 दिनों का लॉकडाउन हुआ है, जोकि सरकार द्वारा उठाया गया एक जरूरी कदम है। बावजूद इसके जिस तरीके से लोग सुबह ही घरों से निकल कर राशन और सब्जियों की दुकानों में भीड़ लगा रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकता है।

वेसमेड हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विवेक कुमार वर्मा ने बताया कि अगर बात सोशल डिस्टेंसिंग की की जा रही है और लोग एक दूसरे से सट सटकर खड़े हैं। ऐसे तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा। यदि हम अब भी नहीं संभले तो स्थिति इटली और स्पेन से भी बुरी हो जाएगी। हमारी सबसे बड़ी चुनौती है कि हम संक्रमण की चेन को तोड़ें, पर कई लोग सामाजिक दूरी बनाए रखने के कांसेप्ट को समझ नहीं पाए हैं। उन्हें अभी तक भी यही लग रहा है कि उन्हें कुछ नहीं होगा। यही व्यवहार कोरोना वायरस को बढ़ावा दे रहा है।

हर किसी को यह सोचना होगा कि अगर एहतियात के लिए कदम नहीं उठाए तो वे भी इससे पीड़ित हो सकते हैं। एक बात अच्छे से जान लें। यदि कोई इस वायरस की चपेट में आता है, तो जरूरी नहीं है कि बीमारी के लक्षण तुरंत ही नजर आएं। इसका असर दिखने में दो से 14 दिन तक का समय लग सकता है। जिसे इन्क्यूबेशन अवधि भी कहा जाता है। ध्यान रहे कि किसी व्यक्ति में लक्षण नजर न आने पर भी संक्रमण फैल सकता है। वक्त है, संभल जाएं। 

जान लें कि कोरोना वायरस फैलने के चार स्टेज हैं, जिसका तीसरा स्टेज सामुदायिक संक्रमण यानी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन है। इसमें संक्रमण का सोर्स पकड़ पाना और उसे आइसोलेट कर पाना अत्याधिक मुश्किल होगा। अनजाने में ही कोई व्यक्ति कई और लोगों को संक्रमित कर रहा होगा। लॉकडाउन का फायदा ये है कि पूरा शहर संक्रमण से बच जाएगा और अज्ञात सोर्स भी पकड़ में आ जाएगा। क्योंकि यह अज्ञात सोर्स भी घर में बंद है और बीमार पड़ेगा तो अस्पताल ही पहुंचेगा। ऐसे में अब भी वक्त है कि हम इसकी गंभीरता को समङों और लॉकडाउन का पालन करें। 

अखबार से संक्रमण का खतरा नहीं 

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना बताते हैं कि अखबार असुरक्षित हैं, ऐसा कहने में कोई लॉजिक नहीं है। अगर आप भीड़भाड़ वाली जगह पर अखबार पढ़ रहे हैं तो संक्रमण का खतरा जरूर है। लेकिन अखबार से नहीं, बल्कि इसलिए कि आप सामाजिक दूरी का ध्यान नहीं रख रहे हैं। लेकिन अपने कमरे में बैठकर अखबार पढ़ेंगे तो कोई भी संक्रमण नहीं होगा। किसी भी पेपर पर वायरस इतने लंबे समय तक नहीं रह सकता कि संक्रमण फैले। आजकल बड़े अखबार उम्दा गुणवत्ता से स्वचालित मशीनों में छपते हैं और वह भी बिना ह्यूमन कॉन्टेक्ट के। 

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प्रिंटिंग, फोल्डिंग, पैकिंग और डिस्पैच के काम में मशीनों का इस्तेमाल होता है, हाथों का नहीं। किसी को भी डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। बस साफ-सफाई के साथ सेहत के प्रति अतिरिक्त सावधानी बरतें। जिन देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण तीसरे दौर में पहुंच गया है यानी समुदाय के स्तर पर फैल गया है वहां भी दूध, ब्रेड आदि के साथ समाचार पत्रों की आपूर्ति निर्बाध ढंग से जारी है।

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