लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले, राजनीति का अखाड़ा न बने लोकतंत्र का मंदिर

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदनों के सुचारू संचालन पर जोर देते हुए कहा कि सभा में वाद-विवाद सहमति-असहमति और चर्चा हो लेकिन इसमें गतिरोध नहीं होना चाहिए।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 18 Dec 2019 10:44 AM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2019 08:28 PM (IST)
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले, राजनीति का अखाड़ा न बने लोकतंत्र का मंदिर
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले, राजनीति का अखाड़ा न बने लोकतंत्र का मंदिर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। देश के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों का 79 वां दो दिवसीय सम्मेलन बुधवार से देहरादून में शुरू हो गया। उद्घाटन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदनों के सुचारू संचालन पर जोर देते हुए कहा कि सभा में वाद-विवाद, सहमति-असहमति और चर्चा हो, लेकिन इसमें गतिरोध नहीं होना चाहिए। विरोध में भी गतिरोध न हो, यही विधायिका की मर्यादा है और यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी। उन्होंने कहा कि विधायी निकाय लोगों की आकांक्षाओं व आस्था के मंदिर हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन संस्थाओं में जनता के विश्वास को सुदृढ़ कर इसे मजबूत बनाया जाए। लिहाजा, लोकतंत्र के इन मंदिरों को राजनीति का अखाड़ा न बनने दें।

सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की मजबूती की दृष्टि से यह सम्मेलन पीठासीन अधिकारियों को एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि देश में मतदान का बढ़ता प्रतिशत ये बयां करता है कि लोकतंत्र के मंदिरों के प्रति जनता का विश्वास दृढ़ हुआ है। हमें इस भरोसे और लोकतंत्र की गरिमा को मजबूत बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि यह प्रयास हो कि सबके सहयोग से सदन ज्यादा से ज्यादा चलें। हर परिस्थिति में संसदीय मर्यादा और प्रतिष्ठा को ऊंचाई तक ले जाएं। इस क्रम में उन्होंने लोकसभा सत्रों का उल्लेख किया। साथ ही कहा कि जनहित से जुड़े विषयों को सरकार तक पहुंचाना सबकी जिम्मेदारी है। ऐसे में शून्यकाल का महत्व बढ़ गया है। 

उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि विधानमंडलों का कार्यकरण एक समान हो। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि विधानमंडलों को जनाकांक्षाओं का मंदिर माना जाता है। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को 2021 में सौ वर्ष पूरे होंगे और 2022 में देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा। इन विशेष अवसरों के मद्देनजर यह प्रयास हों कि विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

लोस अध्यक्ष ने विधानमंडलों में पेपरलेस व्यवस्था, संसदीय समितियों की मजबूती व पारदर्शिता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के परिणाम भी आएंगे। तीन समितियों की रिपोर्ट सम्मेलन में रखी जाएगी, जिन पर जनवरी में लखनऊ में मंथन होगा। मार्च तक इनकी सिफारिशों को विधानमंडलों में लागू करने का प्रयास होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि  सत्ता पक्ष और विपक्ष राम व लक्ष्मण की तरह हैं। राम नरम हैं तो लक्ष्मण आक्रामक। ऐसे में पीठ की भूमिका अभिभावक की होती है। कई अवसरों पर स्थिति कष्टप्रद होती है, जिससे असहजता पैदा होती है। उन्होंने संसद की तरह विधानमंडलों में भी बेहतर परफार्मेंस पर जोर दिया और कहा कि इससे न्यू इंडिया का सपना जल्द पूरा होगा।

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विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन की सिफारिशें संसदीय इतिहास में मील का पत्थर साबित होंगी। विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में सांसद अजय भट्ट, तीरथ सिंह रावत व माला राज्यलक्ष्मी शाह, राज्य सरकार के मंत्री, विधायक और प्रबुद्धजन भी मौजूद थे।

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