Chardham Yatra 2024: श्रद्धालुओं को अनिवार्य रूप से कराना होगा पंजीकरण, तीर्थयात्रियों की मदद के लिए पर्यटन पुलिस रहेगी तैनात
Chardham Yatra 2024 विभिन्न स्थानों पर तीर्थ यात्रियों की मदद के लिए पर्यटन पुलिस तैनात रहेगी जो यात्रियों को विभिन्न जानकारियां देने के साथ उनकी मदद भी करेगी। किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए रेस्क्यू टीमें एसडीआरएफ डीडीआरएफ फायर सर्विस आपदा प्रबंधन की टीमें भी हर वक्त तैयार रहेंगी। समस्या होने पर पर्यटक डायल 112 पर काल कर सकते हैं।
संवाद सहयोगी, जागरण, रुद्रप्रयाग: Chardham Yatra 2024: चारधाम यात्रा को सुरक्षित एवं सुखद संपन्न कराने के लिए जनपद पुलिस ने कमर कस ली है। जनपद में विभिन्न स्थानों पर तीर्थ यात्रियों की मदद के लिए पर्यटन पुलिस तैनात रहेगी, जो यात्रियों को विभिन्न जानकारियां देने के साथ उनकी मदद भी करेगी। यात्रियों की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।
पुलिस अधीक्षक विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि केदारनाथ धाम की यात्रा 10 मई से विधिवत शुरू से शुरू हो जाएगी। इसके लिए सभी श्रद्धालुओं को उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पुलिस प्रशासन इस बार की यात्रा को लेकर पूरी तरह से तैयार है।
पर्यटन पुलिस की भी तैनाती की गई
यात्रियों की मदद के लिए पर्यटन पुलिस की भी तैनाती की गई है। किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए रेस्क्यू टीमें, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, फायर सर्विस, आपदा प्रबंधन की टीमें भी हर वक्त तैयार रहेंगी। सभी पुलिस चौकियां एक दूसरे से वायरलेस सेट के माध्यम से जुड़ी रहेंगी। किसी भी प्रकार की समस्या के लिए डायल 112 पर काल कर सकते हैं।
सोनप्रयाग से आगे कोई भी यात्री वाहन नहीं जाने दिया जाएगा। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच शटल वाहन सेवा का उपयोग किया जाएगा। गौरीकुंड से पैदल, घोड़े खच्चर या डण्डी कण्डी के माध्यम से केदारनाथ धाम तक पहुंच सकते हैं।
यात्रा के सभी पैदल पड़ावों जंगलचट्टी, भीमबली, लिंचौली, केदारनाथ आदि स्थानों पर यात्रियों का पुलिस स्तर से पूरा सहयोग किया जाएगा। इसके लिए पुलिस चौकियां व्यवस्थित रहेंगी। इन सभी जगह पर पुलिस के स्तर से खोया-पाया केन्द्र भी संचालित होगा। कोई भी यात्री अपने स्वजन से बिछड़ता है या किसी का सामान खोने की स्थिति में खोया पाया केंद्र प्रभावी रहेगा।
गत वर्ष की यात्रा के अनुभव को देखते हुए पाया कि अधिकांश यात्री दक्षिण भारत, मध्य भारत महाराष्ट्र, गुजरात आदि प्रदेशों और उत्तर भारत से केदारनाथ पहुंचते हैं। उनको आसानी से समझ के लिए संबंधित बोली भाषा में संदेश, सूचनाएं, साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। इसमें मराठी, गुजराती, अंग्रेजी, हिन्दी एवं तमिल भाषा में जनपद की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार तीन प्रकार के साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।