यहां फाइलों में दफन हो गया बर्ड ग्रोथ सेंटर, जानिए

लैंसडौन वन प्रभाग को नई पहचान तो नहीं मिली लेकिन सरकारी सिस्टम के लचर रवैये ने पूरी योजना को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 06 Nov 2019 05:15 PM (IST) Updated:Wed, 06 Nov 2019 08:35 PM (IST)
यहां फाइलों में दफन हो गया बर्ड ग्रोथ सेंटर, जानिए
यहां फाइलों में दफन हो गया बर्ड ग्रोथ सेंटर, जानिए

देहरादून, जेएनएन। उम्मीद तो थी कि लैंसडौन वन प्रभाग को नई पहचान मिलेगी। साथ ही क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा, लेकिन सरकारी सिस्टम के लचर रवैये ने पूरी योजना को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। बात हो रही है कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी नेशनल पार्क के मध्य अवस्थित लैंसडौन वन प्रभाग में प्रस्तावित बर्ड ग्रोथ सेंटर की। इसकी स्थापना के बाद क्षेत्र में न सिर्फ पर्यटन बढ़ाना था, बल्कि कई बेरोजगारों की आर्थिकी का भी आधार बनना था। इसे सरकारी सिस्टम की लापरवाही ही कहा जाएगा कि लंबा समय बीतने के बाद भी बर्ड ग्रोथ सेंटर धरातल पर नहीं उतर पाया है। 

वर्ष 2018 के दिसंबर माह में लैंसडौन वन प्रभाग में तीन-दिवसीय बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। बर्ड फेस्टिवल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पक्षी प्रेमियों के पहुंचने के बाद सरकार का ध्यान लैंसडौन वन प्रभाग के जंगलों में मौजूद पक्षियों के संसार की ओर गया। इसके बाद शासन ने वन प्रभाग में बर्ड ग्रोथ सेंटर शुरू करने की तैयारी की।

पक्षी आधारित इको टूरिज्म के तहत खुलने वाले इन बर्ड ग्रोथ सेंटरों में स्थानीय युवाओं को बर्ड गाइड के रूप में प्रशिक्षित कर वन संरक्षण के साथ ही वनों के प्रति स्थानीय लोगों को जागरूक करना था। जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रमुख वन संरक्षक से इस विषय पर चर्चा की और प्रभागीय वनाधिकारी से बर्ड ग्रोथ सेंटर की स्थापना के लिए प्रस्ताव मुहैया कराने को कहा। 

लैंसडौन वन प्रभाग में मौजूद पक्षियों का संसार 

उत्तराखंड में पक्षियों की करीब आठ सौ प्रजातियां हैं, जिसमें से लैंसडौन वन प्रभाग में पक्षियों के जंगलों में पक्षियों की करीब साढ़े तीन सौ प्रजातियां मौजूद हैं। नतीजा, विश्वविख्यात पक्षी प्रेमियों का रूझान लैंसडौन वन प्रभाग की ओर बढ़ा है और सिर्फ देश ही नहीं, विदेशियों से भी पक्षी प्रेमी प्रभाग के जंगलों में पहुंच कर पक्षियों का अवलोकन कर रहे हैं। 

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यह है वर्तमान स्थिति 

वर्ष बीत गया, लेकिन आज तक बर्ड ग्रोथ सेंटर कहीं धरातल पर नजर नहीं आ रहा। लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से पूर्व में ही बर्ड ग्रोथ सेंटर के संबंध में शासन में प्रस्ताव भेज दिया गया था, लेकिन आज तक प्रस्ताव शासन में लंबित है। नतीजा, बर्ड ग्रोथ सेंटर से रोजगार की आस लगाए युवाओं की आस टूटती नजर आ रही है। 

लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय अधिकारी अखिलेश तिवारी ने बताया कि कोटद्वार में बर्ड ग्रोथ सेंटर की स्थापना के लिए पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव में कुछ त्रुटियां थी, जिन्हें संशोधित किया गया है। 13 नवंबर को शासन में इस संबंध में बैठक तय है, जिसमें संशोधित प्रस्ताव को विचार के लिए रखा जाएगा। 

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