एम्स ऋषिकेश में नेट टेस्ट से होगी संक्रमण की जांच

एम्स ऋषिकेश उत्‍तराखंड का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां रक्त के संक्रमण का पता बेहद कम समय में अत्याधुनिक मशीनों के जरिये नेट टेस्ट से किया जा सकता है।

By Edited By: Publish:Thu, 30 Aug 2018 03:01 AM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 09:02 AM (IST)
एम्स ऋषिकेश में नेट टेस्ट से होगी संक्रमण की जांच
एम्स ऋषिकेश में नेट टेस्ट से होगी संक्रमण की जांच

ऋषिकेश, [जेएनएन]: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां रक्त के संक्रमण का पता बेहद कम समय में अत्याधुनिक मशीनों के जरिये नेट टेस्ट से किया जा सकता है। इस टेस्ट से व्यक्ति के रक्त में मैजूद महीन वायरस का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।किसी भी मनुष्य का जीवन बचाने के लिए यदि रक्त की जरूरत है तो इसे मनुष्य के शरीर से ही रक्त लेकर पूरा किया जा सकता है। मगर, अधिकांश लोग इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि रक्त में ट्रांसफ्यूजन संक्रमण से होने वाली बीमारियों का खतरा भी छुपा होता है। रक्त में मौजूद संक्रमण का पता लगने में अभी तीन से आठ सप्ताह तक का समय लग सकता है।

पारंपरिक एलाइजा टेस्टिंग से दूषित रक्त से होने वाले एचआइवी व अन्य बीमारियों के वायरस का पता लगाने में कम से कम 20 दिन का समय लगता है। जबकि हेपेटाइटिस बी के लिए 53 दिन और हेपाटाइटिस सी के लिए 58 दिन का समय लग सकता है। मगर, अब न्यूक्लिक एसिड एप्लीकेशन टेस्टिंग (नेट) के जरिये एचआइवी के वायरस का सिर्फ पांच दिन में, हेपेटाइटिस बी के वायरस का 24 दिन में व हेपाटाइटिस सी के वायरस का पता चार दिन में चल सकता है। 

एम्स ऋषिकेश में इस तरह के संक्रमण की जांच के लिए नई मशीन आ चुकी है। एम्स के निदेशक प्रो. रविकांत के प्रयासों से एम्स ऋषिकेश के नाम यह एक नई उपलब्धि भी जुड़ गई है। अभी तक उत्तराखंड में किसी भी चिकित्सालय में यह तकनीक उपलब्ध नहीं है। एम्स के निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि पारंपरिक एलाइजा टेस्ट के मुकाबले नेट थोड़ी महंगी जांच है। मगर, संक्रमण से होने वाली गंभीर बीमारियों को देखा जाए तो यह कीमत कुछ भी नहीं है।

चिकित्सकों को दी नेट टेस्ट की जानकारी 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में बुधवार को नेट टेस्ट के जरिए रक्त संक्रमण की जांच को लेकर कार्यशाला का आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन एम्स के डीन प्रो. मनोज गुप्ता ने किया। एम्स ऋषिकेश के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में चिकित्सकों को सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन विषय पर जानकारी दी गई। कार्यशाला में आयोजक चेयर पर्सन डॉ. गीता नेगी, सचिव डॉ. शीतल मल्होत्रा सहित एम्स के संकाय सदस्य, रेजिडेंट डॉक्टर व नर्सों ने भाग लिया।

यह भी पढ़ें: इस अस्पताल में बीआरटीओ तकनीक से हो रहा लिवर सिरोसिस का उपचार

यह भी पढ़ें: आधुनिक सुविधाओं से लैस हुआ ये नेत्र चिकित्सालय, होगी फेको सर्जरी

chat bot
आपका साथी