ट्रेनिंग लो वो भी तनख्वाह के साथ

सर्वेश तिवारी, बागेश्वर, व्यवसाय और रोजगार से बुरी तरह जूझ रहे पहाड़ से पलायन की यह दो बड़ी वजह है,

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Mar 2017 03:44 PM (IST) Updated:Wed, 29 Mar 2017 03:44 PM (IST)
ट्रेनिंग लो वो भी तनख्वाह के साथ
ट्रेनिंग लो वो भी तनख्वाह के साथ

सर्वेश तिवारी, बागेश्वर,

व्यवसाय और रोजगार से बुरी तरह जूझ रहे पहाड़ से पलायन की यह दो बड़ी वजह है, लेकिन इन सबके बीच अब युवाओं में रोजगार के आस जगने लगी है। सेवा योजन का प्रयास युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोल रहा है। रास्ते भी ऐसे ही कि युवाओं को ट्रेनिंग के साथ तनख्वाह भी मुफ्त मिल रही है।

अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2010 से वर्ष 2017 तक सेवा योजन एक हजार से अधिक युवाओं रोजगार के लिए तैयार कर चुका है। वर्ष 2015 में ही रोजगार मेले के जरिये जिला सेवा योजन कार्यालय ने 805 युवाओं को चुना और इसमें से 362 को रोजगार का साधन मिला, जबकि वर्ष 2016 में 283 में से 120 युवाओं को रोजगार की राह मिली। अब सेवा योजन की कोशिश है कि वर्ष 2017 में कम से कम 500 युवाओं को रोजगार दिलाया जाए। इसके लिए सेवा योजना पूरे देश से कंपनियों को मेले में आमंत्रित करती है। जो युवाओं को ट्रेनिंग के लिए चुनती है और ट्रेनिंग के दौरान युवाओं को कंपनी तनख्वाह भी देती है। मौजूदा वक्त में चल मेले में दो कंपनियां युवाओं का चयन कर रही है और तीन साल की ट्रेनिंग के दौरान पहले साल पांच, दूसरे साल साढ़े पांच और तीसरे साल छह हजार रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे है।

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एससी, एसटी, ओबीसी के लिए खास इंतजाम

सेवा योजन के जरिये एससी, ओबीसी और एसटी वर्ग को खास सहूलियत मिल रही है। इस वर्ग के बच्चों को सेवा योजन टाइपिंग, शार्ट हैंड, कंप्यूटर और जनरल नॉलेज की मुफ्त क्लास देती है। छह माह की यह क्लास जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर में चलती है। हालांकि इसके लिए कम से कम 12वीं पास होना जरूरी है। इसके लिए सेवा योजन का शिक्षण एवं मार्ग दर्शन केंद्र काम करता है।

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कंप्टीशन के लिए है निशुल्क लाइब्रेरी

गरीब बच्चों के लिए भी खास इंतजाम है। ऐसे बच्चे जो पढ़ना तो चाहते है, लेकिन पैसों के अभाव में किताबें नहीं खरीद सकते। ऐसे बच्चों के लिए सेवा योजन की अपनी लाइब्रेरी है। जिसमें रोजाना के अखबार से लेकर कंप्टीशन की सारी किताबें मौजूद है। बच्चे चाहें तो यहां बैठ कर पढ़ भी सकते है और चाहें तो किताबें पढ़ने के लिए घर भी ले जा सकते है और यह सुविधा पूरी तरह निशुल्क है।

बयान

पहाड़ के युवाओं के लिए रोजगार कठिन है और कंपनियां पहाड़ आना भी नहीं चाहती। रोजगार का ज्यादा लाभ ऊधमसिंह नगर और देहरादून के बच्चों को ही मिलता है। हम प्रयास कर कंपनियों को पहाड़ पर ला रहे है। ताकि अधिक से अधिक बेरोजगारों को रोजगार मिल सके।

-आरके पंत, जिला सेवायोजन अधिकारी

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