जेल में मिल रही शातिर बदमाश बनने की ट्रेनिग

जेलों में रहने वाले कैदी सुधरने के बजाय शातिर अपराधी बनते जा रहे हैं। शासन फिलहाल जेलों के हालात सुधारने के लिए कोई प्रयास करते हुए नहीं दिखाई दे रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 06:19 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 06:19 PM (IST)
जेल में मिल रही शातिर बदमाश बनने की ट्रेनिग
जेल में मिल रही शातिर बदमाश बनने की ट्रेनिग

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : जेलों का मकसद कैदी या बंदी को सुधारना होता है। ताकि वह अपने अपराधों की सजा भुगतने के बाद जब जेल से छूटें तो आम लोगों की तरह ही सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें। लेकिन जेलों में रहने वाले कैदी सुधरने के बजाय शातिर अपराधी बनते जा रहे हैं। शासन फिलहाल जेलों के हालात सुधारने के लिए कोई प्रयास करते हुए नहीं दिखाई दे रहा है।

राज्य बनने के बाद से कारागार विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा। लेकिन इन वर्षों में जेलों की हालातों में जो सुधार होना चाहिए था वह नहीं है। जो भी एक बार जेल चला जाता है, वह शातिर अपराधी बनकर निकल रहा है। जेल में किसी प्रकार की सुधारात्मक गतिविधियां नहीं हो रही हैं। यहां सजा काट रहे कुख्यात अपराधी जेल के अंदर गैंग बना रहे हैं। यहीं से वह संगठित तरीके से अपराध कर रहे हैं। इस कार्य में जेल पुलिस भी उनका साथ दे रही है।

अल्मोड़ा जेल अब रंगदारी, नशे के कारोबार के लिए सुíखयां बटोर रही है। एक साल में चार बार जेल में रेड पड़ चुकी है। फिलहाल एसटीएफ की कार्रवाई के बाद मामला कुछ समय तक ठंडे बस्ते में चले गया है। लेकिन यह खत्म होगा, कहा नहीं जा सकता है। अभी भी कुख्यात बदमाश जेल के अंदर हैं, जो मौका मिलते ही फिर अपना गिरोह शुरू कर देंगे। कैदियों के साथ अंडर ट्रायल भी अल्मोड़ा जेल में

अल्मोड़ा : जेल में कैदियों के साथ अंडर ट्रायल भी रखे जाते है। चार जिले पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत के कैदियों और बंदियों को यहीं रखा जाता है। अधिकतर अंडर ट्रायल यहां कुछ दिन रहने के बाद जमानत में रिहा हो जाते हैं। जितने दिन यहां वह रुकते है, उन दिनों में अपराध की दुनिया का बहुत कुछ सीख भी लेते हैं। 102 की क्षमता वाली जेल में 325 कैदियों व बंदियों को रखा गया है। यहां कैदियों व बंदियों का जीवन नारकीय है। नई जेल प्रस्तावित है, लेकिन फाइल शासन स्तर पर दबी है। कई बार जेल प्रशासन को पत्राचार किया जा चुका है। जेल के हालात बहुत खराब है। क्षमता से तीन गुना ज्यादा कैदियों व बंदियों को रखा गया है। हर महीने निरीक्षण भी किया जाता है।

- रवि शंकर मिश्रा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

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