हैदराबाद की विवाह परंपरा में दमकेगी वाराणसी की काष्ठ कला, 12 पीस भेजने की चल रही है तैयारी

काशी की काष्ठ कला अब हैदराबाद की विवाह परंपरा से जुड़कर भी दमकेगी। वहां पर विवाह के बाद पहली होली में मिठाई संग बेटी को होली की झांकी भेंट करने की परंपरा है। जिससे अब यहां की काष्ठ कला जुडऩे जा रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 09:10 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 11:02 AM (IST)
हैदराबाद की विवाह परंपरा में दमकेगी वाराणसी की काष्ठ कला, 12 पीस भेजने की चल रही है तैयारी
काष्ठ कलाकारों के पास हैदराबाद, बेंगलुरु से गूलर की लकड़ी पर उकेरी गई होली की झांकी का आर्डर आया है।

वाराणसी  [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। काशी की काष्ठ कला अब हैदराबाद की विवाह परंपरा से जुड़कर भी दमकेगी। वहां पर विवाह के बाद पहली होली में मिठाई संग बेटी को होली की झांकी भेंट करने की परंपरा है। जिससे अब यहां की काष्ठ कला जुडऩे जा रही है। पीएम मोदी से सराहना मिलने के बाद आर्डर में तेजी आई है। इसी क्रम में काष्ठ कलाकारों के पास हैदराबाद और बेंगलुरु से गूलर की लकड़ी पर उकेरी गई होली की झांकी का आर्डर आया है। सखा व गोपियों संग होली खेलते कन्हैया, मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुख्य द्वार के साथ लकड़ी पर ब्रज की पारंपरिक होली उकेरने में यहां के कलाकार जुट गए हैं।

ब्रज की होली उकेरने में लगे दस दिन

ब्रज की होली वाली झांकी को बिहारी लाल अग्रवाल के नेतृत्व में दशरथ बिंद व गोविंद ने बनाया है। झांकी तैयार करने में 10 दिन लगे। इसकी आकर्षक पेंटिंग शुभी अग्रवाल, पूजा, साक्षी व बिरजू प्रजापति ने सात दिन में की। इस झांकी को बहुत ही बारीकी से लकड़ी पर उकेरा गया है।

गुलर की लकड़ी से बनी झांकी

ब्रज की होली वाली झांकी में गुलर की लकड़ी का उपयोग हुआ है। एक झांकी 18 हजार की है। शुभी ने बताया कि 12 पीस का आर्डर पूरा करने की तैयारी है। बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि हैदराबाद में शादी के बाद पहली होली पर बेटी के यहां माता-पिता भगवान द्वारा फाग खेलने की झांकी भेजते हैं। इसे शुभ माना जाता है। लोग घर में पूजास्थल पर सजाकर रखते हैं।

झांकी में समाहित हैं 11 किरदार

काष्ठ पर दर्शायी गई ब्रज की होली में 11 किरदार हैं। इसमें एक ओर भगवान श्रीकृष्ठ चार सखाओं संग पिचकारी से रंग डाल रहे हैं तो राधारानी भी चार सखियों संग कान्हा पर रंग छोड़ रही हैं। मुख्य द्वार से भी एक सखी रंग डाल रही है। मुख्यद्वार पर मोर है। झांकी की लंबाई 21 इंच, चौड़ाई 10 एवं ऊंचाई 18 इंच है। शुभी ने बताया कि होली संग कृष्ण व रामलीला के विभिन्न पात्रों की भी झांकी बनाई जाती है।

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