काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर 10 फरवरी से दो दिवसीय मंथन

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय पीठ 10-11 फरवरी को दो दिवसीय वैचारिक मंथन आयोजित कर रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 02:14 PM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 02:14 PM (IST)
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर 10 फरवरी से दो दिवसीय मंथन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर 10 फरवरी से दो दिवसीय मंथन

वाराणसी, जेएनएन। जाने-माने चिंतक एवं अन्त्योदय का दर्शन देने वाले पं. दीनदयाल उपाध्याय के पुण्य स्मृति दिवस के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय पीठ 10-11 फरवरी को दो दिवसीय वैचारिक मंथन आयोजित कर रहा है। दीन दयाल उपाध्याय पीठ के समन्वयक प्रो. श्याम कार्तिक मिश्रा ने पीठ के कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान यह जानकारी दी।

प्रो. श्याम कार्तिक मिश्रा ने बताया कि 10 और 11 फरवरी को मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र, बीएचयू में समाज वैज्ञानिकों द्वारा भारत के पुनर्निर्माण में दीनदयाल उपाध्याय का योगदान एवं दीनदयाल के विचारों की उपादेयता विषय पर गहन मंथन किया जायेगा। अायोजन के दौरान जाने-माने समाज वैज्ञानिक मानव संसाधन मंत्रालय के नेशनल रिसर्च प्रोफेसर प्रो. अशोक गजानन मोदक, उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, उप्र के प्राथमिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश चन्द्र द्विवेदी, सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी उड़ीसा के चांसलर प्रो. पीवी कृष्ण भट्ट भाग लेंगे।

पं. दीन दयाल उपाध्याय पीठ सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर धरातल पर दीन दयाल के दर्शन को पहुंचाने का काम कर रहा है। नागरिकता संशोधन कानून पर भी दीन दयाल चेयर राष्ट्रीय संगोष्ठी कराकर लोगों में सही बात बताने का काम कर चुका है। वैचारिक मंथन के दौरान दीन दयाल के दर्शन को जीने वाले सामाजिक कार्यकत्र्ताओं को विधान सभा अध्यक्ष सम्मानित करेंगे। सामाजिक वैचारिक मंथन द्वारा राष्ट्रीय एकता के सूत्र वाक्य को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जाएगा।

दीनदयाल उपाध्याय ने जिन गरीबों, वंचितों और अंतिम व्यक्ति की वकालत की थी, यह चेयर उनके आदर्शों के अनुुरूप विभिन्न स्थलों पर अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने वाले संगठनों के साथ भी अनुभवों को साझा कर रहा है। शीघ्र ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दीन दयाल के विचारों को स्नातक स्तर पर पढ़ाया जायेगा।

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