वाराणसी के असि नदी को समझा नाला तो ओवरलोड हुआ रमना एसटीपी, जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी

जल निगम ने परियोजनाओं को मजाक बनाकर रख दिया है। पेयजल व सीवेज से जुड़ी परियोजनाओं को इसी मूड में विकसित किया। परिणाम ये परियोजनाएं दशक बाद भी जनोपयोगी नहीं बन सकीं। पुराने मामले छोडि़ए नया मामला रमना एसटीपी से जुड़ा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 09:10 AM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 09:10 AM (IST)
वाराणसी के असि नदी को समझा नाला तो ओवरलोड हुआ रमना एसटीपी, जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी
वाराणसी में रमना एसटीपी जो ओवर लोड हो गया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जल निगम ने परियोजनाओं को मजाक बनाकर रख दिया है। पेयजल व सीवेज से जुड़ी परियोजनाओं को इसी मूड में विकसित किया। परिणाम, ये परियोजनाएं दशक बाद भी जनोपयोगी नहीं बन सकीं। पुराने मामले छोडि़ए, नया मामला रमना एसटीपी से जुड़ा है। यह एसटीपी उद्घाटन से पहले ही ओवरलोड हो गया है।

इससे इसकी कार्य क्षमता पर सवाल उठने लगा है। इसकी वजह असि नदी को अस्सी व नगवां नाला समझना जल निगम की बड़ी गलती बताई जा रही है। खास यह कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंगलवार को जब जल निगम के अफसरों पर नाराजगी जाहिर की। समस्या का निदान करने के लिए आदेशित किया तो आनन-फानन में जल निगम के मुख्य अभियंता एके पुरवार के आदेश पर तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई। इसमें जल निगम के वही अफसर शामिल हुए हैं जिन पर रमना एसटीपी निर्माण कराने की जिम्मेदारी थी। तीन सदस्यों में जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक एम राय, परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन व राजीव रंजन हैं।

जो क्षेत्र जुडऩा था दीनापुर एसटीपी से वह जुड़ा रमना से

सीवेज सिस्टम के जानकार बताते हैं कि जो क्षेत्र दीनापुर में बने 140 एमएलडी क्षमता के एसटीपी से जुडऩा था, वह भी रमना एसटीपी से जुड़ गया है। मसलन, लहरतारा, फुलवरिया क्षेत्र का आंशिक हिस्सा, मंडुआडीह, शिवदासपुर आदि। चूंकि असि नदी का उद्गम स्थल कंदवा है। इसलिए प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम सभी इसी नदी से जुड़ गए हैं। इसमें उन इलाकों के ड्रेनेज भी हैं जिसे दीनापुर एसटीपी से जोडऩा था। ऐसे में रमना एसटीपी के लिए हुआ आकलन गड़बड़ हो गया।

दीनापुर एसटीपी के सीवर लाइन से जुड़े शौचालय तो बने बात

दीनापुर में बने नए एसटीपी से घरों के शौचालयों को जोडऩा होगा। इससे असि नदी में मलजल का बहाव कम होगा। इसके बाद रमना एसटीपी का भी ओवरलोड कम हो जाएगा। चूंकि जल निगम ने शौचालयों के कनेक्शन का कार्य भी ठीक तरीके से नहीं किया है जिससे घरों के शौचालयों का मलजल असि नदी में जा रहा है।

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