बाबा दरबार से गंगा तट तक बनने वाले विश्‍वनाथ कारिडोर के लिए लेनी होगी पुरातत्व विभाग से एनओसी

बाबा दरबार से गंगा तट तक कारिडोर निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा।

By Edited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 01:49 AM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 08:04 AM (IST)
बाबा दरबार से गंगा तट तक बनने वाले विश्‍वनाथ कारिडोर के लिए लेनी होगी पुरातत्व विभाग से एनओसी
बाबा दरबार से गंगा तट तक बनने वाले विश्‍वनाथ कारिडोर के लिए लेनी होगी पुरातत्व विभाग से एनओसी

वाराणसी, जेएनएन। बाबा दरबार से गंगा तट तक कारिडोर निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। पौराणिक व ऐतिहासिक क्षेत्र होने से शासनादेश में यथावश्यक सहमति लेने की शर्त रखी गई है। नियमानुसार आवश्यक वैधानिक अनापत्तियां और पर्यावरणीय क्लियरेंस लेना होगा। कार्य आरंभ से पहले वीडीए बोर्ड से प्रोजेक्ट का मानचित्र भी स्वीकृत कराना होगा। श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने इसकी प्रक्रिया शुरू भी कर दी है।

काशी का इतिहास तीन हजार साल पहले गंगा-वरुणा संगम के समीप माना जाता है। गंगा किनारे दक्षिण की ओर बसावट को विस्तार मिला, जो अस्सी संगम तक पहुंचा। जिससे वरुणा-अस्सी प्रसंग भी जुड़ा। यही नहीं मंदिर के पास स्थित सरस्वती उद्यान की खुदाई में गुप्त काल तक के अवशेष मिले हैं। प्रमाणों के मुताबिक 1500 साल पहले लोग यहां आकर बसे थे। कारिडोर क्षेत्र पुरातात्विक इमारत मान महल से समीप है। नियमानुसार पुरातात्विक स्थलों के सौ मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता और इसके बाद के 200 मीटर में सशर्त अनुमति दी जाती है।

मान महल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है जिसमें इसी साल इसमें आभासी संग्रहालय शुरू हुआ है। इस तरह कारिडोर निर्माण के लिए एएसआइ मुख्यालय को प्रस्ताव भेज, परियोजना का प्रस्तुतिकरण भी करना होगा। पांच दिन पहले जारी शासनादेश में कारिडोर निर्माण के लिए भरपूर समय दिया गया है। इसके लिए मियाद 31 दिसंबर, 2021 तय की गई है। ऐसे में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए भी पर्याप्त समय होगा।

मुख्य बातें

-श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने शुरू की प्रक्रिया

-बाबा दरबार से गंगा के तीन घाटों तक तक होंगे निर्माण

-पुरातात्विक महत्व से शासनादेश की शर्तो में किया शामिल

-पांच दिन पहले जारी शासनादेश में कारिडोर निर्माण के लिए भरपूर समय दिया गया है।

-इसके लिए मियाद 31 दिसंबर, 2021 तय की गई है।

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