बैसाखी के सहारे दंभ भर रहे 140 आंगनबाड़ी केंद्र, 716 केंद्रों के पास नहीं है अपना मकान

मऊ में 140 आंगनबाड़ी केंद्र बैसाखी के सहारे दंभ भरते नजर आ रहे हैं। यहीं नहीं 716 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना आवास नहीं है। यह किराए के मकान में संचालित हो रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 17 Jun 2020 01:55 PM (IST) Updated:Wed, 17 Jun 2020 05:20 PM (IST)
बैसाखी के सहारे दंभ भर रहे 140 आंगनबाड़ी केंद्र, 716 केंद्रों के पास नहीं है अपना मकान
बैसाखी के सहारे दंभ भर रहे 140 आंगनबाड़ी केंद्र, 716 केंद्रों के पास नहीं है अपना मकान

मऊ, [जयप्रकाश निषाद]। सरकार भले ही गर्भवती महिलाओं व किशोरियों को पोषण देेने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाकर कुपोषण दूर करने की कोशिश कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही नजर आ रही है। मऊ में 140 आंगनबाड़ी केंद्र बैसाखी के सहारे दंभ भरते नजर आ रहे हैं। यह अस्तित्व में दिख ही नहीं रहे हैं। विभाग की मानें तो इन्हें दूसरे आंगनबाड़ी केंद्रों में मर्ज किया गया है। यहीं नहीं 716 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना आवास नहीं है। यह किराए के मकान में संचालित हो रहे हैं। पूरे जनपद में 140 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 309 सहायिका का पद खाली चल रहा है।

तीन किश्तों में 4,000 रुपये दिए जा रहे

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से यह योजना संचालित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य गर्भवती और धात्री महिलाओं को उनके बच्चे के जन्म के पूर्व एवं पश्चात मजदूरी में होने वाली हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति एवं गर्भवती और धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार लाना है। इस योजना में 19 वर्ष या इससे अधिक आयु की गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को उनके पहले दो जीवित शिशुओं तक पात्रता है। योजना में निर्धारित शर्तों को पूर्ण करने वाली महिला को उसके बच्चे के छह माह की आयु पूर्ण होने पर तीन किश्तों में कुल राशि 4,000 रुपये दिए जा रहे हैं। प्रोत्साहन राशि के रूप में कार्य पूर्ण होने पर प्रति लाभार्थी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 200 रुपये एवं सहायिका को100 रुपये प्रदान किया जाता है।

कुल 2587 आंगनबाड़ी केंद्र है मऊ में

इसके अलावा गांव व शहर के अशिक्षित बच्चों को शिक्षित करना है। इसके अलावा विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को संचालित भी करना है। इनसे विभाग अन्य कार्य भी लेता हैं। ऐसे में जनपद में कुल 2587 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसमें से 2213 आंगनबाड़ी व 374 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसमें 2447 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व 1904 सहायिका तैनात हैं। यानी आंगनबाड़ी के 140 व सहायिका के 309 पद खाली चल रहे हैं। 140 आंगनबाड़ी केंद्र चल ही नहीं रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्र को पास के केंद्रों से मर्ज कर दिया गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश कुमार का कहना है कि  सरकार की तरफ से समय-समय पर पदों को भरने के लिए आवेदन किया जाता है। अभी भी 140 पद रिक्त चल रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों की जिम्मेदारी पास के केंद्रों को सौंपी गई है। दूसरे केंद्र की आंगनबाड़ी व सहायिका इसे संचालित करती हैं।

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