वाराणसी में छात्राओं का बनाया सेंसर ग्लेशियर टूटने से पहले करेगा अलर्ट, पहाड़ों पर रुकेंगे हादसे
बनारस के अशोका इंस्टीट्यूट की तीन छात्राओं ने एक ग्लेशियर अलर्ट सिस्टम बनाया है जो हिमालयी क्षेत्र में आने वाले आपदा व प्रकोपों से कुछ समय पहले ही अलर्ट करेगा। बीटेक में इलेक्ट्रानिक ब्रांच से प्रथम वर्ष की तीन छात्राओं ने इसे महज दस दिन में ही तैयार किया है।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस के अशोका इंस्टीट्यूट की तीन छात्राओं ने एक ग्लेशियर अलर्ट सिस्टम बनाया है जो कि हिमालयी क्षेत्र में आने वाले आपदा व प्रकोपों से कुछ समय पहले ही अलर्ट करेगा। संस्थान में बीटेक में इलेक्ट्रानिक ब्रांच से प्रथम वर्ष की तीन छात्राएं अन्नू सिंह, आंचल पटेल, संजीवनी यादव ने इसे महज दस दिन में ही तैयार किया है। यह ट्रांसमीटर अलर्ट सेंसर पर आधारित एक अलार्म है जिसको ग्लेशियर, बांध और दुर्गम इलाकों के आसपास बसे गांवों और शहरों की सुरक्षा में इसे उपयोग किया जा सकता है।
पहाड़ों पर बाढ़, हिमस्खलन, ग्लेशियर स्लाईड व अन्य कई आपदाओं के आने से कुछ देर पहले ही यह संकेत दे देता है। इससे एक सेकेंड में एक किलोमीटर की रेंज में अलार्म के द्वारा सूचना पहुंच जाती है, जिससे शासन-प्रशासन समय रहते संकट से निपट सके। इस मशीन को बिजली की भी जरुरत नहीं होती, क्योंकि यह सोलर ऊर्जा से चलता है। वहीं इसे एक घंटे तक चार्ज कर दिया जाए तो यह करीब छह माह तक लगातार चलता है।
हजारों लोगों को बचा सकता है यह सिस्टम
संस्थान के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल के इंजार्च श्याम चौरसिया ने बताया कि इससे हत उत्तराखंड जैसे राज्यों में आ रहे भीषण हादसों और अपनी जान गवां रहे हजारों लोगों को बचाया जा सकता है। इसे बनाने में लोहे की पाईप, सोलर प्लेट, वोल्ट, ट्रिगर स्विच, रिले, वोल्ट, 12 वोल्ट बैटरी, हाई रेडियो फ्रिक्वेंशी, सिग्नल किट, कार रेड लाइट और हूटर का प्रयोग किया गया है। इसमें कुल खर्च सात हजार रुपये का आया।
उत्तराखंड की आपदा ने झकझोरा दिल
उत्तराखंड में हाल में आई आपदा ने इन छात्राओं के दिलों को झकझोर कर रख दिया था। घटना के बाद इन छात्राओं ने आपदा से पूर्व लोगों तक संकेत पहुंचाने की तकनीक पर काम किया। प्रोटोटाइप सिस्टम तैयार कर उसका बकायदा कई जगह ट्रायल किया, जिसके उन्हें यह सफलता मिली है। बताया कि इसे अगर पहाड़ोंं पर स्थापित किया जाए तो अचानक होने वाले हादसोंं से लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।