बीएचयू में एक विदेशी छात्र के साथ हिंदू स्‍टडीज पाठ्यक्रम शुरू, साठ सीटों के सापेक्ष 46 लोगों ने दिखाई रुचि

बीएचयू में हिंदू स्‍टडीज पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम के लिए 60 सीटें निर्धारित हैं जिसमें छह सीटें एनआरआइ और पांच सीटें बीएचयू स्टाफ के लिए आरक्षित हैं। इसमें एक विदेशी छात्र ने कोटे से प्रवेश लिया है। पहले साल साठ सीटों के सापेक्ष मात्र 46 सीटें ही इस बार भर पाई हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 11:26 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 11:26 AM (IST)
बीएचयू में एक विदेशी छात्र के साथ हिंदू स्‍टडीज पाठ्यक्रम शुरू, साठ सीटों के सापेक्ष 46 लोगों ने दिखाई रुचि
हिंदू स्‍टडीज में पहले साल साठ सीटों के सापेक्ष मात्र 46 सीटें ही इस बार भर पाई हैं।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र की ओर से संचालित एमए इन हिंदू स्टडीज (परास्नातक हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम) की पढ़ाई मंगलवार से आखिरकार शुरू कर दी गई है। देश में पहली बार बीएचयू में ही यह कोर्स शुरू किया गया है। इस पाठ्यक्रम के लिए 60 सीटें निर्धारित हैं जिसमें छह सीटें एनआरआइ व पांच बीएचयू स्टाफ कोटे के लिए आरक्षित हैं। इसमें एक विदेशी छात्र ने भी प्रवेश लिया है। हालांकि पहले साल साठ सीटों के सापेक्ष मात्र 46 सीटें ही भर पाई हैं।

पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम को महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताया। कहा, अंतरविषयी यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार संचालित किया जा रहा है। विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के निदेशक डा. विजय शंकर शुक्ल ने कहा कि इस पाठ्यक्रम का सूत्र 18 वीं सदी के विद्वान् पं. गंगानाथ झा से प्रारंभ होते हुए महामना मालवीय की संकल्पना में रूपांतरित होता है, लेकिन किन्हीं कारणों से यह क्रम टूट गया था जो आज इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूर्णता को प्राप्त हो रहा है।

अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलाधिपति व भारत अध्ययन केन्द्र के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी ने हिंदू धर्म में अंतर्निहित एकता के सूत्रों व उसकी आचार संहिता को स्थापित करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में ऋत्, व्रत, सत्य आदि धर्म के ही पर्याय हैं। हिंदू अध्ययन का यह पाठ्यक्रम इनको अद्यतन संदर्भों से जोड़ने का उपक्रम है।

भारत अध्ययन केंद्र की शताब्दी पीठाचार्य पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ को संदर्भित करते हुए विद्वान योद्धाओं के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. राकेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि कार्यक्रम में आनलाइन व आफलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ भारत अध्ययन केन्द्र के सभी सेंटेनरी विजिटिंग फेलो एवं देश के विभिन्न भागों से वरिष्ठ विद्वान् जुड़े रहे। वहीं इस आयोजन के बारे में लोकगा‍यिका मा‍लिनी अवस्‍थी ने भी अपने इंटरनेट मी‍डिया एकाउंट पर साझा किया था। 

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