Flood in varanasi : पूर्वांचल में स्थिर होने की ओर गंगा का रुख मगर बारिश ने बढा दी है दुश्वारी
बाढ़ के बीच बारिश होने से जिन लोगों का मकान आधा या पूरा मंजिल डूब चुका है वह छत पर आसरा लिए हुए थे मगर बारिश ही वजह से छत पर भी जीना मुहाल हो गया है
वाराणसी, जेएनएन। गंगा नदी में स्प्ताह भर से वाराणसी में बढ़ाव का रुख बना हुआ है। इसकी वजह से पूर्वांचल के सभी जिलों में गंगा खतरा बिंदु से इस समय ऊपर बह रही हैं। वहीं पलट प्रवाह की वजह से वरुणा, असि और गोमती आदि नदियों में भी उफान है। सबसे बड़ी समस्या इस समय बाढ़ के बीच दो दिनों से रह रहकर हो रही बरसात की है। बाढ़ के बीच बारिश होने से जिन लोगों का मकान आधा या पूरा मंजिल डूब चुका है वह छत पर आसरा लिए हुए थे मगर बारिश ही वजह से छत पर भी जीना मुहाल हो गया है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी मान रहे हैं कि अागे गंगा में उफान कम होगा और दुश्वारी भी खत्म होगी।
जिला | खतरा | चेतावनी | वर्तमान | रुख |
मीरजापुर | 8 77.72 | 76.724 | 77.98 | स्थिर |
वाराणसी | 8 71.26 | 70.26 | 71.93 | बढ़ाव |
गाजीपुर | 63.10 | 62.10 | 64.48 | बढ़ाव |
बलिया | 57.61 | 56.61 | 59.88 | घटाव |
आफत से नहीं राहत
सबसे बुरी स्थिति वरुणा नदी के किनारे रहने वालों की ही जो बाढ़ की वजह से फंसे हुए हैं। वहीं दूसरे स्थानों पर शरण लिए लोगों के लिए बारिश और लगातार जलभराव अब चिंता का सबब बनने लगा है। बाढ़ अगर कम भी होती है तो सप्ताह भर के अंदर तक पानी कम नहीं हो पाएगा। ऐसे में बाढ़ प्रभावित लोगों का पखवारे भर तक घर से बाहर रहकर जीवनयापन करना भी मुसीबत भरा होगा। हालांकि प्रशासन राहत सामग्री वितरित करवा रहा है मगर यह सहायता ऊंट के मुह में जीरा ही साबित हो रहा है।
गंगा का रुख चिंताजनक
मीरजापुर जिले में गंगा खतरा बिंदु पार करने के बाद आखिरकार स्थिर हो गई हैं मगर राहत तो तब मिलेगी जब घटाव शुरू होगा। वहीं वाराणसी में गंगा अब भी बढ़ रही हैं मगर उम्मीद है अगले चौबीस घंटों में यहां गंगा स्थिर हो जाएंगी। जबकि गाजीपुर में गंगा बढ़ाव की ओर हैं और कई अन्य निचले इलाकों को जद में ले चुकी हैं। बलिया जिले में रिंग बंधा कटने के बाद कई इलाकों में पानी भरने के बाद से अब यहां घटाव का रुख है। हालांकि पूर्वांचल के सभी जिलों में गंगा खतरा बिंदु से ऊपर ही बह रही हैं।
अंचलों में सर्वाधिक दुश्वारी
बाढ़ की वजह से तटवर्ती इलाके पूरी तरह से डूब चुके हैं। खेत खलिहान में सप्ताह भर से डूबी फसल अब सड़ने लगी है और उसके बचने की संभावना न के बराबर है। वहीं हरा चारा न मिलने की वजह से बाढ़ प्रभावित इलाकों में पशु पशुओं के लिए भुखमरी की सौगात लेकर आया है। वहीं धान की फसल तटवर्ती इलाकों में जहां पूरी तरह चौपट हो चुकी है वहीं पशुपालकों के सामने अब बर्बादी ही नजर आ रही है। जबकि घर गिरने की घटनाओं से जानमाल की सुरक्षा भी बड़ी वजह डूब क्षेत्रों में साबित हो रही है।