ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का सर्वेक्षण रोकने से कोर्ट का इन्कार, अदालत में पक्षकारों की हुई बहस

ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से दाखिल वाद की सुनवाई की कार्यवाही स्थगित करने से अदालत ने इन्कार कर दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 06 Feb 2020 09:19 AM (IST) Updated:Thu, 06 Feb 2020 09:19 AM (IST)
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का सर्वेक्षण रोकने से कोर्ट का इन्कार, अदालत में पक्षकारों की हुई बहस
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का सर्वेक्षण रोकने से कोर्ट का इन्कार, अदालत में पक्षकारों की हुई बहस

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से दाखिल वाद की सुनवाई की कार्यवाही स्थगित करने से अदालत ने इन्कार कर दिया है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर कार्यवाही स्थगित करने की अपील की थी। मंगलवार को प्रतिवादी के प्रार्थना पत्र पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक) आशुतोष तिवारी की अदालत में पक्षकारों की बहस हुई थी।

ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की वादी पक्ष (प्राचीन मूर्ति स्वयंभू योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर) की अपील पर प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आपत्ति जताई थी। प्रतिवादी ने आपत्ति की थी कि उक्त मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगा रखी है जो अब तक प्रभावी है। इसके परिप्रेक्ष्य में मुकदमे की कार्यवाही स्थगित की जाए। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाद मित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की दलील थी कि मुकदमे की सुनवाई स्थगन का हाईकोर्ट ने आदेश नहीं दिया है। मुकदमे की सुनवाई अनावश्यक रुप से बाधित करने केलिए प्रतिवादी पक्ष की ओर से यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा पत्रावलियां देखने के बाद प्रतिवादी के प्रार्थना पत्रों को खारिज कर दिया। 

17 को वाद मित्र की अपील पर सुनवाई 

ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की वाद मित्र की अपील पर सुनवाई के लिए अदालत ने 17 फरवरी की तिथि तय की है। विजय शंकर रस्तोगी ने 10 दिसंबर 2019 को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। उन्होंने अपील किया कि कथित विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण व खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाई जाए।

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